Saturday, October 6, 2012

Murli [6-10-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - भोलानाथ बाप एक है जो तुम्हारी झोली ज्ञान रत्नों से भरते हैं, वही कल्प वृक्ष का बीजरूप है, उनकी भेंट और किससे कर नहीं सकते'' 
प्रश्न: बहुत बच्चे बाप को भी ठगने की कोशिश करते हैं, कैसे और क्यों? 
उत्तर: बाप को यथार्थ न पहचानने के कारण भूल करके भी छिपाते हैं, सच नहीं बताते हैं, सभा में छिपकर बैठ जाते हैं। उन्हें पता ही नहीं कि धर्मराज बाबा सब कुछ जानता है। यह भी सजाओं को कम करने की युक्ति है कि सच्चे बाबा को सच सुनाओ। 
गीत:- भोलेनाथ से निराला.... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) अपना सब कुछ बाप हवाले कर पूरा श्रीमत पर चलना है। कोई भी बुरा काम करके छिपाना नहीं है, जज को सच बताने से सजा कम हो जायेगी। 
2) बाप से कभी रूठना नहीं है, सर्विसएबुल बनना है। अपने कर्मबन्धन स्वयं कांटने हैं। 
वरदान: चारों ही सबजेक्ट में हर रोज़ कोई न कोई नवीनता का अनुभव करने वाले तीव्र पुरूषार्थी भव 
ज्ञान में नवीनता का अर्थ है, समझदार बनकर चलना अर्थात् जो अपने में कमी है उसे खत्म करते जाना। योग के प्रयोग में नवीनता अर्थात् उसकी परसेन्टेज़ को बढ़ाना। ऐसे ही चारों सबजेक्ट में स्व की प्रगति में नवीनता, विधि में नवीनता, प्रयोग में नवीनता, सेवा में नवीनता, औरों को सहजयोगी बनाने वा परसेन्टेज बढ़ाने में नवीनता का अनुभव करना माना तीव्र पुरूषार्थी बनना, इससे ही समीपता का अनुभव करेंगे। 
स्लोगन: प्योरिटी की अथॉरिटी ही सबसे बड़ी पर्सनैलिटी है।