Thursday, October 25, 2012

Murli [22-10-2012]-Hindi


मुरली सार:- ”मीठे बच्चे – सवेरे-सवेरे उठ याद में बैठने का अभ्यास डालो, भोजन पर भी एक दो को बाप की याद दिलाओ, याद करते-करते तुम पास विद ऑनर हो जायेंगे”
प्रश्न:- किस एक कमी के कारण बच्चों की रिपोर्ट बाप के पास आती है?
उत्तर:- कई बच्चे अभी तक प्रेम स्वरूप नहीं बने हैं। मुख से दु:ख देने वाले बोल बोलते रहते हैं इसलिए बाप के पास रिपोर्ट आती है। बच्चों को बहुत प्रेम से चलना है। अगर स्वयं में ही कोई अवगुण रूपी भूत होगा तो दूसरों का कैसे निकलेगा, इसलिए देवताओं जैसा प्रेम स्वरूप बनना है, भूत निकाल देना है।
गीत:- आखिर वह दिन आया आज…..
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) धन्धा आदि करते भी स्वदर्शन चक्रधारी बनकर रहना है। एक दो को बाप की याद दिलानी है। कितनी भी परीक्षायें आ जायें तो भी स्मृति में जरूर रहना है।
2) विकारों का दान देकर फिर कभी वापस नहीं लेना। किसी को भी दु:ख नहीं देना है। क्रोध नहीं करना है। अन्दर जो भूत हैं उन्हें निकाल देना है।
वरदान:- स्वयं को विश्व कल्याण के निमित्त समझ व्यर्थ से मुक्त रहने वाले बाप समान भव
जैसे बाप विश्व कल्याणकारी है, ऐसे बच्चे भी विश्व कल्याण के निमित्त हैं। आप निमित्त आत्माओं की वृत्ति से वायुमण्डल परिवर्तन होना है। जैसा संकल्प वैसी वृत्ति होती है इसलिए विश्व कल्याण की जिम्मेवार आत्मायें एक सेकण्ड भी संकल्प वा वृत्ति को व्यर्थ नहीं बना सकती। कैसी भी परिस्थिति हो, व्यक्ति हो लेकिन स्व की भावना, स्व की वृत्ति कल्याण की हो, ग्लानि करने वाले के प्रति भी शुभ भावना हो तब कहेंगे व्यर्थ से मुक्त बाप समान।
स्लोगन:- सहयोग की शक्ति द्वारा असम्भव बातें भी सम्भव हो सकती हैं।