Tuesday, February 9, 2016

मुरली 10 फरवरी 2016

10-02-16 प्रातः मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन

“शिव भगवानुवाच– मीठे बच्चे, तुम मुझे याद करो और प्यार करो क्योंकि मैं ही तुम्हें सदा सुखी बनाने आया हूँ|”  
प्रश्न:
जिन बच्चों से गफलत होती रहती है उनके मुख से कौन से बोल स्वतः निकल जाते हैं?
उत्तर:
तकदीर में जो होगा वह मिल जायेगा। स्वर्ग में तो जायेंगे ही। बाबा कहते यह बोल पुरुषार्थी बच्चों के नहीं। ऊंच मर्तबा पाने का ही पुरुषार्थ करना है। जब बाप आये हैं ऊंच मर्तबा देने तो ग़फलत मत करो।
गीतः
बचपन के दिन भुला न देना........  
ओम् शान्ति।
मीठे-मीठे रूहानी बच्चों ने गीत की लाइन का अर्थ समझा। अभी जीते जी तुम बेहद के बाप के बने हो। सारा कल्प तो हद के बाप के बने हो। अभी सिर्फ तुम ब्राह्मण बच्चे बेहद बाप के बने हो। तुम जानते हो बेहद के बाप से हम बेहद का वर्सा ले रहे हैं। अगर बाप को छोड़ा तो बेहद का वर्सा मिल नहीं सकेगा। भल तुम समझाते हो परन्तु थोड़े में तो कोई राज़ी नहीं होता। मनुष्य धन चाहते हैं। धन के सिवाए सुख नहीं हो सकता। धन भी चाहिए, शान्ति भी चाहिए, निरोगी काया भी चाहिए। तुम बच्चे ही जानते हो दुनिया में आज क्या है, कल क्या होना है। विनाश तो सामने खड़ा है। और कोई की बुद्धि में यह बातें नहीं हैं। अगर समझें भी विनाश खड़ा है, तो भी करना क्या है, यह नहीं समझते। तुम बच्चे समझते हो कभी भी लड़ाई लग सकती है, थोड़ी चिनगारी लगी तो भंभट मच जाने में देरी नहीं लगेगी। बच्चे जानते हैं यह पुरानी दुनिया खत्म हुई कि हुई इसलिए अब जल्दी ही बाप से वर्सा लेना है। बाप को सदैव याद करते रहेंगे तो बहुत हर्षित रहेंगे। देह-अभिमान में आने से बाप को भूल दुःख उठाते हो। जितना बाप को याद करेंगे उतना बेहद के बाप से सुख उठायेंगे। यहाँ तुम आये ही हो ऐसा लक्ष्मी-नारायण बनने। राजा-रानी का और प्रजा का नौकर चाकर बनना– इसमें बहुत फ़र्क है ना। अभी का पुरुषार्थ फिर कल्प-कल्पान्तर के लिए कायम हो जाता है। पिछाड़ी में सबको साक्षात्कार होगा– हमने कितना पुरुषार्थ किया है? अब भी बाप कहते हैं अपनी अवस्था को देखते रहो। मीठे ते मीठा बाबा जिससे स्वर्ग का वर्सा मिलता है, उनको हम कितना याद करते हैं। तुम्हारा सारा मदार ही याद पर है। जितना याद करेंगे उतना खुशी भी रहेगी। समझेंगे अब नज़दीक आकर पहुँचे हैं। कोई थक भी जाते हैं, पता नहीं मंजिल कितना दूर है। पहुँचे तो मेहनत भी सफल हो। अभी जिस मंजिल पर तुम जा रहे हो, दुनिया नहीं जानती है। दुनिया को यह भी पता नहीं कि भगवान किसको कहा जाता है। कहते भी हैं भगवान। फिर कह देते ठिक्कर-भित्तर में है।

अभी तुम बच्चे जानते हो हम बाप के बन चुके हैं। अब बाप की ही मत पर चलना है। भल विलायत में हो, वहाँ रहते भी सिर्फ बाप को याद करना है। तुमको श्रीमत मिलती है। आत्मा तमोप्रधान से सतोप्रधान सिवाए याद के हो न सके। तुम कहते हो बाबा हम आपसे पूरा वर्सा लेंगे। जैसे हमारे मम्मा बाबा वर्सा लेते हैं, हम भी पुरुषार्थ कर उनकी गद्दी पर जरूर बैठेंगे। मम्मा बाबा, राज-राजेश्वरी बनते हैं तो हम भी बनेंगे। इम्तहान तो सबके लिए एक ही है। तुमको बहुत थोड़ा सिखाया जाता है सिर्फ बाप को याद करो। इसको कहा जाता है सहज राजयोग बल। तुम समझते हो योग से बहुत बल मिलता है। समझते हैं हम कोई विकर्म करेंगे तो सज़ा बहुत खायेंगे। पद भ्रष्ट हो पड़ेंगे। याद में ही माया विघ्न डालती है, गाया जाता है सतगुरू का निंदक ठौर न पाये। वह तो कहते गुरू का निंदक..... निराकार का किसको पता नहीं है। गाया भी जाता है भक्तों को फल देने वाला है भगवान। साधू-सन्त आदि सब भक्त हैं। भक्त ही गंगा स्नान करने जाते हैं। भक्त भक्तों को फल थोड़ेही देंगे। भक्त भक्तों को फल दें तो फिर भगवान को याद क्यों करें। यह है ही भक्ति मार्ग। सब भक्त हैं। भक्तों को फल देने वाला है भगवान। ऐसे नहीं कि जास्ती भक्ति करने वाले थोड़ी भक्ति करने वाले को फल देंगे। नहीं। भक्ति माना भक्ति। रचना, रचना को कैसे वर्सा देंगे! वर्सा रचयिता से ही मिलता है। इस समय सब हैं भक्त। जब ज्ञान मिलता है तो फिर भक्ति खुद ब खुद छूट जाती है। ज्ञान जिंदाबाद हो जाता है। ज्ञान बिगर सद्गति कैसे होगी। सब अपना हिसाबकिताब चुक्तू कर चले जाते हैं। तो अब तुम बच्चे जानते हो विनाश सामने खड़ा है। उसके पहले पुरुषार्थ कर बाप से पूरा वर्सा लेना है।

तुम जानते हो हम पावन दुनिया में जा रहे हैं, जो ब्राह्मण बनेंगे वही निमित्त बनेंगे। ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण बनने के बिगर तुम बाप से वर्सा ले नहीं सकते। बाप बच्चों को रचते ही हैं वर्सा देने के लिए। शिवबाबा के तो हम हैं ही। सृष्टि रचते हैं बच्चों को वर्सा देने लिए। शरीरधारी को ही वर्सा देंगे ना। आत्मायें तो ऊपर में रहती हैं। वहाँ तो वर्से वा प्रालब्ध की बात ही नहीं। तुम अभी पुरुषार्थ कर प्रालब्ध ले रहे हो, जो दुनिया को पता नहीं है। अब समय नज़दीक आता जा रहा है। बॉम्ब्स कोई रखने के लिए नहीं हैं। तैयारियाँ बहुत हो रही हैं। अभी बाप हमको फरमान करते हैं कि मुझे याद करो। नहीं तो पिछाड़ी में बहुत रोना पड़ेगा। राज-विद्या के इम्तहान में कोई नापास होते हैं तो जाकर डूब मरते हैं गुस्से में। यहाँ गुस्से की तो बात नहीं। पिछाड़ी में तुमको साक्षात्कार बहुत होंगे। क्या-क्या हम बनेंगे वह भी पता पड़ जायेगा। बाप का काम है पुरुषार्थ कराना। बच्चे कहते हैं बाबा हम कर्म करते हुए याद करना भूल जाते हैं, कोई फिर कहते हैं याद करने की फुर्सत नहीं मिलती है, तो बाबा कहेंगे अच्छा समय निकालकर याद में बैठो। बाप को याद करो। आपस में जब मिलते हो तो भी यही कोशिश करो, हम बाबा को याद करें। मिलकर बैठने से तुम याद अच्छा करेंगे, मदद मिलेगी। मूल बात है बाप को याद करना। कोई विलायत जाते हैं, वहाँ भी सिर्फ एक बात याद रखो। बाप की याद से ही तुम तमोप्रधान से सतोप्रधान बनेंगे। बाप कहते हैं सिर्फ एक बात याद करो– बाप को याद करो। योगबल से सब पाप भस्म हो जायेंगे। बाप कहते हैं मनमनाभव। मुझे याद करो तो विश्व का मालिक बनेंगे। मूल बात हो जाती है याद की। कहाँ भी जाने की बात नहीं। घर में रहो, सिर्फ बाप को याद करो। पवित्र नहीं बनेंगे तो याद नहीं कर सकेंगे। ऐसे थोड़ेही है सब आकर क्लास में पढ़ेंगे। मंत्र लिया फिर भल कहाँ भी चले जाओ। सतोप्रधान बनने का रास्ता तो बाप ने बतलाया ही है। यूँ तो सेन्टर पर आने से नई-नई प्वाइंट्स सुनते रहेंगे। अगर किसी कारण से नहीं आ सकते हैं, बरसात पड़ती है, करफ्यू लगता है, कोई बाहर नहीं निकल सकते फिर क्या करेंगे? बाप कहते हैं कोई हर्जा नहीं है। ऐसे नहीं है कि शिव के मन्दिर में लोटी चढानी ही पड़ेगी। कहाँ भी रहते तुम याद में रहो। चलते फिरते याद करो, औरों को भी यही कहो कि बाप को याद करने से विकर्म विनाश होंगे और देवता बन जायेंगे। अक्षर ही दो हैं– बाप रचता से ही वर्सा लेना है। रचता एक ही है। वह कितना सहज रास्ता बताते हैं। बाप को याद करने का मंत्र मिल गया। बाप कहते हैं यह बचपन भूल नहीं जाना। आज हंसते हो कल रोना पड़ेगा, अगर बाप को भुलाया तो। बाप से वर्सा पूरा लेना चाहिए। ऐसे बहुत हैं, कहते हैं स्वर्ग में तो जायेंगे ना, जो तकदीर में होगा.. उनको कोई पुरुषार्थी नहीं कहेंगे। मनुष्य पुरुषार्थ करते ही हैं ऊंच मर्तबा पाने लिए। अब जबकि बाप से ऊंच मर्तबा मिलता है तो ग़फलत क्यों करनी चाहिए। स्कूल में जो नहीं पढ़ेंगे तो पढ़े के आगे भरी ढोनी पड़ेगी। बाप को पूरा याद नहीं करेंगे तो प्रजा में नौकर-चाकर जाकर बनेंगे, इसमें खुश थोड़ेही होना चाहिए। बच्चे सम्मुख रिफ्रेश होकर जाते हैं। कई बांधेलियाँ हैं, हर्जा नहीं, घर बैठे बाप को याद करती रहो। कितना समझाते हैं मौत सामने खड़ा है, अचानक ही लड़ाई शुरू हो जायेगी। देखने में आता है लड़ाई जैसेकि छिड़ी कि छिड़ी। रेडियों से भी सारा मालूम पड़ जाता है। कहते हैं थोड़ा भी गड़बड़ किया तो हम ऐसा करेंगे। पहले से ही कह देते हैं। बॉम्ब्स की मगरूरी बहुत है। बाप भी कहते हैं बच्चे अजुन योगबल में तो होशियार हुए नहीं हैं। लड़ाई लग जाए, ऐसे ड्रामा अनुसार होगा ही नहीं। बच्चों ने पूरा वर्सा ही नहीं लिया है। अभी पूरी राजधानी स्थापन हुई नहीं है। थोड़ा टाइम चाहिए। पुरुषार्थ कराते रहते हैं। पता नहीं किस समय भी कुछ हो जाये, एरोप्लेन, ट्रेन गिर पड़ती। मौत कितना सहज खड़ा है। धरती हिलती रहती है। सबसे जास्ती काम करना है अर्थक्वेक को। यह हिले तब तो सारे मकान आदि गिरें। मौत होने के पहले बाप से पूरा वर्सा लेना है इसलिए बहुत प्रेम से बाप को याद करना है। बाबा आपके बिगर हमारा दूसरा कोई नहीं। सिर्फ बाप को याद करते रहो। कितना सहज रीति जैसे छोटे-छोटे बच्चों को बैठ समझाते हैं। और कोई तकलीफ नहीं देता हूँ, सिर्फ याद करो और काम चिता पर बैठ जो तुम जल मरे हो अब ज्ञान चिता पर बैठ पवित्र बनो। तुमसे पूछते हैं आपका उद्देश्य क्या है? बोलो, शिवबाबा जो सबका बाप है वह कहते हैं मामेकम् याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे और तुम तमोप्रधान से सतोप्रधान बन जायेंगे। कलियुग में सब तमोप्रधान हैं। सर्व का सद्गति दाता एक बाप है।

अब बाप कहते हैं सिर्फ मुझे याद करो तो कट उतर जायेगी। यह इतना पैगाम तो दे सकते हो ना। खुद याद करेंगे तब दूसरे को याद करा सकेंगे। खुद याद करते होंगे तो दूसरे को रूचि से कहेंगे, नहीं तो दिल से नहीं निकलेगा। बाप समझाते हैं कहाँ भी हो जितना हो सके, सिर्फ याद करो। जो मिले उनको यही शिक्षा दो– मौत सामने खड़ा है। बाप कहते हैं तुम सब तमोप्रधान पतित बन पड़े हो। अब मुझे याद करो, पवित्र बनो। आत्मा ही पतित बनी है। सतयुग में होती है पावन आत्मा। बाप कहते हैं याद से ही आत्मा पावन बनेगी, और कोई उपाय नहीं है। यह पैगाम सबको देते जाओ तो भी बहुतों का कल्याण करेंगे और कोई तकलीफ नहीं देते। सब आत्माओं को पावन बनाने वाला पतित-पावन बाप ही है। सबसे उत्तम से उत्तम पुरुष बनाने वाला है बाप। जो पूज्य थे वही फिर पुजारी बने हैं। रावण राज्य में हम पुजारी बने हैं, रामराज्य में पूज्य थे। अब रावण राज्य का अन्त है, हम पुजारी से फिर पूज्य बनते हैं– बाप को याद करने से। औरों को भी रास्ता बताना है, बुढ़ियों को भी सर्विस करनी चाहिए। मित्र-सम्बन्धियों को भी सन्देश दो। सतसंग, मन्दिर आदि भी अनेक प्रकार के हैं। तुम्हारा तो है एक प्रकार। सिर्फ बाप का परिचय देना है। शिवबाबा कहते हैं मामेकम् याद करो तो तुम स्वर्ग का मालिक बनेंगे। निराकार शिवबाबा सर्व का सद्गति दाता बाबा आत्माओं को कहते हैं मुझे याद करो तो तुम तमोप्रधान से सतोप्रधान बन जायेंगे। यह तो सहज है ना समझाना। बुढ़िया भी सर्विस कर सकती हैं। मूल बात ही यह है। शादी मुरादी पर कहाँ भी जाओ, कान में यह बात सुनाओ। गीता का भगवान कहते हैं मुझे याद करो। इस बात को सभी पसन्द करेंगे। जास्ती बोलने की दरकार ही नहीं है। सिर्फ बाप का पैगाम देना है कि बाप कहते हैं मुझे याद करो। अच्छा, ऐसे समझो भगवान प्रेरणा करते हैं। स्वप्न में साक्षात्कार होते हैं। आवाज़ सुनने में आता है कि बाप कहते हैं मुझे याद करो तो तुम तमोप्रधान से सतोप्रधान बन जायेंगे। तुम खुद भी सिर्फ यह चिंतन करते रहो तो बेड़ा पार हो जायेगा। हम प्रैक्टिकल में बेहद के बाप के बने हैं और बाप से 21 जन्मों का वर्सा ले रहे हैं तो खुशी रहनी चाहिए। बाप को भूलने से ही तकलीफ होती है। बाप कितना सहज बतलाते हैं अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो तो आत्मा सतोप्रधान बन जायेगी। सब समझेंगे इन्हों को रास्ता तो बरोबर राइट मिला है। यह रास्ता कभी कोई बता न सके। अगर वह कहें शिवबाबा को याद करो तो फिर साधुओं आदि के पास कौन जायेंगे। समय ऐसा होगा जो तुम घर से बाहर भी नहीं निकल सकेंगे। बाप को याद करते-करते शरीर छोड़ देंगे। अन्तकाल जो शिवबाबा सिमरे...... सो फिर नारायण योनि वल-वल उतरे, लक्ष्मी-नारायण की डिनायस्टी में आयेंगे ना। घड़ी-घड़ी राजाई पद पायेंगे। बस सिर्फ बाप को याद करो और प्यार करो। याद बिगर प्यार कैसे करेंगे। सुख मिलता है तब प्यार किया जाता है। दुःख देने वाले को प्यार नहीं किया जाता। बाप कहते हैं मैं तुमको स्वर्ग का मालिक बनाता हूँ इसलिए मुझे प्यार करो। बाप की मत पर चलना चाहिए ना। अच्छा!

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) खुशी में रहने के लिए याद की मेहनत करनी है। याद का बल आत्मा को सतोप्रधान बनाने वाला है। प्यार से एक बाप को याद करना है।
2) ऊंच मर्तबा पाने के लिए पढाई पर पूरा-पूरा ध्यान देना है। ऐसे नहीं जो तकदीर में होगा, ग़फलत छोड़ पूरा वर्से का अधिकारी बनना है।
वरदान:
साधनों को यूज़ करते हुए साधना को अपना आधार बनाने वाले सिद्धि स्वरूप भव!  
कोई भी पुरानी दुनिया के आकर्षणमय दृश्य, अल्पकाल के सुख के साधन यूज़ करते वा देखते हो तो उन साधनों के वशीभूत हो जाते हो। साधनों के आधार पर साधना ऐसे है जैसे रेत के फाउण्डेशन पर बिल्डिंग इसलिए किसी भी विनाशी साधन के आधार पर अविनाशी साधना न हो। साधन निमित्तमात्र हैं और साधना निर्माण का आधार है इसलिए साधना को महत्व दो तो साधना सिद्धि को प्राप्त करायेगी।
स्लोगन:
किसी भी कमजोरी का अंश है तो वंश पैदा हो जायेगा और परवश बना देगा।