मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-पावन बनने के लिए अपने स्वधर्म में रहो और अशरीरी बन एक बाप को याद करो''
प्रश्न:- किस विधि से नये स्टूडेन्ट्स पर ज्ञान का रंग लग सकता है?
उत्तर:- उन्हें पहले-पहले सात रोज़ की भट्ठी में बिठाओ। कायदा है-जब कोई भी आता है तो उनसे फार्म
गीत:- महफिल में जल उठी शमा........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) विकर्माजीत बनने के लिए सारी पुरानी दुनिया से बेहद का वैराग्य कर, इसे भूल एक बाप की याद में रहना है।
2) भ्रमरी मिसल ज्ञान रंग लगाने की सेवा करनी है। युक्ति से महारोगियों को निरोगी, नास्तिक को आस्तिक बनाना है।
वरदान:- साक्षीपन की स्थिति द्वारा हीरो पार्ट बजाने वाले सहज पुरुषार्थी भव
साक्षीपन की स्थिति ड्रामा के अन्दर हीरो पार्ट बजाने में सहयोगी बनती है। अगर साक्षीपन नहीं तो हीरो पार्ट बजा
स्लोगन:- फरिश्ता बनना है तो अपने सर्व रिश्ते एक प्रभू के साथ जोड़ लो।
प्रश्न:- किस विधि से नये स्टूडेन्ट्स पर ज्ञान का रंग लग सकता है?
उत्तर:- उन्हें पहले-पहले सात रोज़ की भट्ठी में बिठाओ। कायदा है-जब कोई भी आता है तो उनसे फार्म
भराओ। पहले सात रोज़ भट्ठी में पड़े तब पूरा रंग लगे। तुम भ्रमरियां ज्ञान की भूँ-भूँ कर आप समान बनाती
हो। तुम जानती हो-अभी देवता धर्म की सैपलिंग लग रही है। जो इस घराने की आत्मायें होंगी वह महा-रोगी
से निरोगी बनने के पुरुषार्थ में लग जायेंगी।
गीत:- महफिल में जल उठी शमा........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) विकर्माजीत बनने के लिए सारी पुरानी दुनिया से बेहद का वैराग्य कर, इसे भूल एक बाप की याद में रहना है।
2) भ्रमरी मिसल ज्ञान रंग लगाने की सेवा करनी है। युक्ति से महारोगियों को निरोगी, नास्तिक को आस्तिक बनाना है।
वरदान:- साक्षीपन की स्थिति द्वारा हीरो पार्ट बजाने वाले सहज पुरुषार्थी भव
साक्षीपन की स्थिति ड्रामा के अन्दर हीरो पार्ट बजाने में सहयोगी बनती है। अगर साक्षीपन नहीं तो हीरो पार्ट बजा
नहीं सकते। साक्षीपन अर्थात् देह से न्यारे, आत्मा मालिकपन की स्टेज पर स्थित रहे। देह से भी साक्षी, मालिक।
इस देह से कर्म कराने वाली, ऐसी साक्षी स्थिति ही सहज पुरुषार्थ का अनुभव कराती है क्योंकि इस स्थिति में किसी
भी प्रकार का विघ्न या मुश्किलात नहीं आ सकती, यह है मूल अभ्यास। इसी अभ्यास से लास्ट में विजयी बनेंगे।
स्लोगन:- फरिश्ता बनना है तो अपने सर्व रिश्ते एक प्रभू के साथ जोड़ लो।