14-07-13 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:28-01-77 मधुबन
ब्राह्मणों का धर्म और कर्म
वरदान:- निरन्तर योगी और पवित्र बन सर्व विकारों को विदाई देने वाले शक्ति स्वरूप, पूज्य स्वरूप भव
बाप द्वारा सभी बच्चों को मुख्य दो वरदान प्राप्त होते हैं - एक सदा योगी भव दूसरा पवित्र भव। जो
स्लोगन:- सदा ज्ञान सूर्य के सम्मुख रहो तो भाग्य रूपी परछाई आपके साथ है।
ब्राह्मणों का धर्म और कर्म
वरदान:- निरन्तर योगी और पवित्र बन सर्व विकारों को विदाई देने वाले शक्ति स्वरूप, पूज्य स्वरूप भव
बाप द्वारा सभी बच्चों को मुख्य दो वरदान प्राप्त होते हैं - एक सदा योगी भव दूसरा पवित्र भव। जो
यह वरदान जीवन में सदा अनुभव करते हैं वह दो चार घण्टे के योगी नहीं होते लेकिन निरन्तर के
योगी होते हैं। पवित्र भी कभी-कभी नहीं, सदा पवित्र और सर्व विकारों को विदाई देने वाले। ऐसे नहीं
कभी क्रोध या मोह आ गया, कोई भी विकार स्मृति स्वरूप बनने नहीं देगा। तो ऐसे योगी ही शक्ति
स्वरूप हैं और सदा पवित्र रहने वाले पूज्य स्वरूप हैं।
स्लोगन:- सदा ज्ञान सूर्य के सम्मुख रहो तो भाग्य रूपी परछाई आपके साथ है।