Wednesday, July 3, 2013

Murli [2-07-2013]-Hindi

मीठे बच्चे – तुमने दुःख सहन करने में बहुत टाइम वेस्ट किया है, अब दुनिया बदल रही है, तुम बाप को याद करो, सतोप्रधान बनो तो टाइम सफल हो जायेगा”
प्रश्न- 21 जन्मों के लिए लॉटरी प्राप्त करने का पुरुषार्थ क्या है?
उत्तरः- 21 जन्मों की लॉटरी लेनी है तो मोहजीत बनो। एक बाप पर पूरा-पूरा कुर्बान जाओ। सदा यह स्मृति में रहे कि अब यह पुरानी दुनिया बदल रही है, हम नई दुनिया में जा रहे हैं। इस पुरानी दुनिया को देखते भी नहीं देखना है। सुदामा मिसल चावल मुट्ठी सफल कर सतयुगी बादशाही लेनी है।
धारणा के लिए मुख्य सारः-
1) अब इस शरीर से कोई भी विकर्म नहीं करना है। ऐसी कोई आसुरी एक्ट न हो जिससे रजिस्टर खराब हो जाए।
2) एक बाप की याद के नशे में रहना है। पावन बनने का मूल पुरूषार्थ जरूर करना है। कौड़ियों पिछाड़ी अपना अमूल्य समय बरबाद न कर श्रीमत से जीवन श्रेष्ठ बनानी है।
वरदानः- परीक्षाओं और समस्याओं में मुरझाने के बजाए मनोरंजन का अनुभव करने वाले सदा विजयी भव
इस पुरूषार्थी जीवन में ड्रामा अनुसार समस्यायें व परिस्थितियाँ तो आनी ही हैं। जन्म लेते ही आगे बढ़ने का लक्ष्य रखना अर्थात् परीक्षाओं और समस्याओं का आह्वान करना। जब रास्ता तय करना है तो रास्ते के नजारे न हों यह हो कैसे सकता। लेकिन उन नजारों को पार करने के बजाए यदि करेक्शन करने लग जाते हो तो बाप की याद का कनेक्शन लूज हो जाता है और मनोरंजन के बजाए मन को मुरझा देते हो। इसलिए वाह नजारा वाह के गीत गाते आगे बढ़ो अर्थात् सदा विजयी भव के वरदानी बनो।
स्लोगनः- मर्यादा के अन्दर चलना माना मर्यादा पुरूषोत्तम बनना।