Thursday, October 24, 2013

Murli[17-10-2013]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - प्रभात के समय मन-बुद्धि से मुझ बाप को याद करो, 
साथ-साथ भारत को दैवी राजस्थान बनाने की सेवा करो'' 

प्रश्न:- सूर्यवंशी राजधानी की प्राइज़ किस आधार पर मिलती है? 
उत्तर:- सूर्यवंशी राजधानी की प्राइज़ लेना है तो बाप का पूरा मददगार बनो, श्रीमत 
पर चलते रहो। आशीर्वाद नहीं मांगनी है लेकिन योगबल से आत्मा को पावन बनाने 
का पुरूषार्थ करना है। देह सहित देह के सब सम्बन्धों को त्याग एक मोस्ट बिलवेड 
बाप को याद करो तो तुम्हें सूर्यवंशी राजधानी की प्राइज़ मिल जायेगी। उसमें पीस, 
प्योरिटी, प्रासपर्टी सब कुछ होगा। 

गीत:- आखिर वह दिन आया आज........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) अविनाशी ज्ञान रत्नों का खजाना जो मिला है उसे दान करना है। अपना समय 
खाने-पीने, झरमुई-झगमुई में व्यर्थ नहीं गँवाना है। 

2) कौड़ी जैसे मनुष्यों को हीरे जैसा बनाने की सेवा करनी है। बाप से आशीर्वाद या 
कृपा मांगनी नहीं है। उनकी राय पर चलते रहना है। 

वरदान:- मेरे-पन की स्मृति से स्नेह और रहम की दृष्टि प्राप्त करने वाले समर्थी सम्पन्न भव 

जो बच्चे बाप को पहचान कर दिल से एक बार भी ``मेरा बाबा'' कहते हैं तो रहम के 
सागर बापदादा ऐसे बच्चों को रिटर्न में पदमगुणा उसी रूहानी प्यार से देखते हैं। रहम 
और स्नेह की दृष्टि उन्हें सदा आगे बढ़ाती रहती है। यही रूहानी मेरे पन की स्मृति ऐसे 
बच्चों के लिए समर्थी भरने की आशीर्वाद बन जाती है। बापदादा को मुख से आशीर्वाद 
देने की आवश्यकता नहीं पड़ती है लेकिन सूक्ष्म स्नेह के संकल्प से हर बच्चे की पालना 
होती रहती है। 

स्लोगन:- जो बाप के प्यारे हैं, उनका अन्य किसी व्यक्ति वा वैभव से प्यार हो नहीं सकता।