Thursday, October 24, 2013

Murli[14-10-2013]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - याद में रहने की ऐसी प्रैक्टिस करो जो अन्त में एक बाप के 
सिवाए दूसरा कोई भी याद न आये'' 

प्रश्न:- किस एक श्रीमत को पालन करने से तुम बच्चे तकदीरवान बन सकते हो? 
उत्तर:- बाप की श्रीमत है - बच्चे, नींद को जीतने वाले बनो। सवेरे का समय बहुत अच्छा 
होता है। उस समय उठकर मुझ बाप को याद करो तो तुम बख्तावर बन जायेंगे। अगर 
सवेरे-सवेरे उठते नहीं हैं तो जिन सोया तिन खोया। सिर्फ सोना और खाना - यह तो 
गँवाना है इसलिए सवेरे उठने की आदत डालो।

गीत:- तूने रात गँवाई सोय के........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) कौड़ी जैसा तन-मन-धन जो भी है उसे बाप पर कुर्बान कर फिर ट्रस्टी होकर सम्भालना है। 
ममत्व निकाल देना है। 

2) सवेरे-सवेरे उठ बाप को प्यार से याद करना है। ज्ञान बल और बुद्धियोग बल से माया पर 
विजय पानी है। 

वरदान:- हर आत्मा को सेकण्ड में मुक्ति-जीवनमुक्ति का अधिकार दिलाने वाले मास्टर सतगुरू भव 

अभी तक मास्टर दाता वा मास्टर शिक्षक का पार्ट बजा रहे हो। लेकिन अभी सतगुरू के बच्चे बन 
गति और सद्गति के वरदाता का पार्ट बजाना है। मास्टर सतगुरू अर्थात् सम्पूर्ण फालो करने वाले। 
सतगुरू के वचन पर सदा सम्पूर्ण रीति चलने वाले। ऐसे मास्टर सतगुरू ही सेकण्ड में नज़र से 
निहाल करने अर्थात् मुक्ति जीवनमुक्ति का अधिकार दिलाने की सेवा कर सकते हैं। 

स्लोगन:- आज्ञाकारी बनो तो बापदादा के दिल की दुआयें प्राप्त होती रहेंगी।