Saturday, March 9, 2013

Murli [9-03-2013]-Hindi

मुरली सार:- मीठे बच्चे - ज्ञान और योगबल से पुराने पापों के खाते को चुक्तू कर नया पुण्य का खाता जमा करना है, योगबल से एवरहेल्दी वेल्दी बनना है 
प्रश्न:- संगमयुग की विशेषतायें कौन सी हैं, जो सारे कल्प में नहीं हो सकती हैं? 
उत्तर:- संगमयुग पर ही 5 हजार वर्ष के बाद आत्मा और परमात्मा का प्यारा मंगल मिलन होता है। यही समय है बाप से बच्चों के मिलने और वर्सा लेने का। बाप सभी आत्माओं के लिए इसी समय ज्ञान देते हैं, सबका लिबरेटर बनते हैं। संगमयुग पर ही देवी-देवता धर्म की सैपलिंग लगती है, जो दूसरे धर्म में कनवर्ट हो गये हैं वह निकल आते हैं। सभी अपना-अपना पुराना हिसाब-किताब चुक्तू कर वापस जाते हैं। ऐसी विशेषतायें और किसी युग की नहीं हैं। 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) बाप से जो ज्ञान धन लिया है उसका दान करना है। गुप्त रीति से पढ़ाई पढ़कर 21 जन्मों की राजाई लेनी है। 
2) और सबकी याद भुलाकर एक बाप को सत्य बाप, सत्य टीचर और सतगुरू के रूप से याद करना है।
वरदान:- बिन्दू रूप में स्थित रह सारयुक्त, योगयुक्त, युक्तियुक्त स्वरूप का अनुभव करने वाले सदा समर्थ भव 
क्वेश्चन मार्क के टेढ़े रास्ते पर जाने के बजाए हर बात में बिन्दी लगाओ। बिन्दू रूप में स्थित हो जाओ तो सारयुक्त, योगयुक्त, युक्तियुक्त स्वरूप का अनुभव करेंगे। स्मृति, बोल और कर्म सब समर्थ हो जायेंगे। बिना बिन्दू बने विस्तार में गये तो क्यों, क्या के व्यर्थ बोल और कर्म में समय और शक्तियां व्यर्थ गवां देंगे क्योंकि जंगल से निकलना पड़ेगा इसलिए बिन्दू रूप में स्थित रह सर्व कर्मेन्द्रियों को आर्डर प्रमाण चलाओ। 
स्लोगन:- ''बाबा'' शब्द की डायमण्ड चाबी साथ रहे तो सर्व खजानों की अनुभूति होती रहेगी।