मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - अभी यह पुरानी दुनिया बदल रही है इसलिए इससे प्रीत नहीं रखनी है,
नये घर स्वर्ग को याद करना है''
प्रश्न:- सदा सुखी बनने की कौन सी विधि बाप सभी बच्चों को सुनाते हैं?
उत्तर:- सदा सुखी बनना है तो दिल से एक बाप का बन जाओ। बाप को ही याद करो। बाप कभी
भी किसी बच्चे को दु:ख नहीं दे सकते। स्वर्ग में कभी किसका पति, किसका बच्चा मरता नहीं।
वहाँ यह अकाले मौत का धन्धा नहीं होता है। यहाँ तो माया रावण दु:खी बनाती रहती है।
बाबा है दु:ख हर्ता, सुख कर्ता।
गीत:- दु:खियों पर कुछ रहम करो माँ बाप हमारे..
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) तन-मन-धन सब बाप हवाले कर महादानी बनना है। आप समान बनाने की सेवा
भी करनी है और देही-अभिमानी होकर रहना है।
2) इस पुरानी दुनिया दु:खधाम को भूल शान्तिधाम और सुखधाम को याद करना है।
कर्मबन्धन में कभी भी फंसना नहीं है।
वरदान:- सम्पर्क में आने वाली आत्माओं को सदा सुख की अनुभूति कराने वाले मास्टर सुखदाता भव
आप सुखदाता के बच्चे मास्टर सुखदाता हो इसलिए सुख का खाता जमा करते रहो।
सिर्फ यह चेक नहीं करो कि आज सारे दिन में किसी को दु:ख तो नहीं दिया? लेकिन चेक
करो कि सुख कितनों को दिया? जो भी सम्पर्क में आये आप मास्टर सुखदाता द्वारा हर कदम
में सुख की अनुभूति करे, इसको कहा जाता है दिव्यता वा अलौकिकता। हर समय स्मृति
रहे कि इस एक जन्म में 21 जन्मों का खाता जमा करना है।
स्लोगन:- एक बाप को अपना संसार बना लो तो अविनाशी प्राप्तियाँ होती रहेंगी।