Thursday, March 14, 2013

Murli [14-03-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-शिवबाबा अलौकिक मुसाफिर है जो तुम्हें खूबसूरत (सुन्दर) बनाता है, तुम इस मुसाफ़िर को याद करते-करते फर्स्टक्लास बन जाते हो'' 
प्रश्न:- हर एक गॉडली स्टूडेन्ट्स को संगमयुग पर कौन सा पुरुषार्थ करने की श्रेष्ठ मत मिलती है? 
उतर:- गॉडली स्टूडेन्टस को श्रीमत मिलती है कि इस समय पावन बन राजाई पद पाने का पुरुषार्थ करो। हरेक अपना फिक्र करो और दूसरों को कहो कि बेहद के बाप का वर्सा लेने के लिए इस अन्तिम जन्म में पवित्रता की राखी बांधो, इस मृत्युलोक में वृद्धि करना बन्द करो। बाप का बनकर स्वर्ग के लायक बनो। बाप की मत पर इस समय वाइसलेस बनने से तुम 21 जन्म के लिए वाइसलेस बन जायेंगे। 
गीत:- ओ दूर के मुसाफिर... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) सभी तरफ से बुद्धि की प्रीत हटाकर एक बाप से जोड़नी है। पवित्र बन परिस्तान की परी बनना है। 
2) मात-पिता की श्रेष्ठ मत पर हमें चलना है। देह-अभिमान वश उन्हें अपनी मत नहीं देनी है। 
वरदान:- सहज विधि द्वारा विधाता को अपना बनाने वाले सर्व भाग्य के खजानों से भरपूर भव 
भाग्य विधाता को अपना बनाने की विधि है-बाप और दादा दोनों के साथ संबंध। कई बच्चे कहते हैं हमारा तो डायरेक्ट निराकार से कनेक्शन है, साकार ने भी तो निराकार से पाया हम भी उनसे सब कुछ पा लेंगे। लेकिन यह खण्डित चाबी है, सिवाए ब्रह्माकुमार कुमारी बनने के भाग्य बन नहीं सकता। साकार के बिना सर्व भाग्य के भण्डारे का मालिक बन नहीं सकते क्योंकि भाग्य विधाता भाग्य बांटते ही हैं ब्रह्मा द्वारा। तो विधि को जानकर सर्व भाग्य के खजानों से भरपूर बनो। 
स्लोगन:- स्वयं से, सेवा से, सर्व से सन्तुष्टता का सर्टीफिकेट लो तब सिद्धि स्वरूप बनेंगे।