Friday, January 18, 2013

Murli [18-01-2013]-Hindi

पिताश्री जी के पुण्य स्मृति दिवस पर सुनाने के लिए बापदादा के मधुर महावाक्य 
मुरली सार :- ''मीठे बच्चे - अपना स्वभाव बहुत ही मीठा और शान्त बनाओ, बोलचाल ऐसा हो जो सब कहें यह तो जैसे देवता हैं'' 
प्रश्न:- हृदय को शुद्ध बनाने के लिए कौन सा शौक होना चाहिए? 
उत्तर:- हृदय को शुद्ध बनाना है तो योगी बनने बनाने का शौक होना चाहिए। योग की स्थिति से ही हृदय शुद्ध बनता है। अगर देह में मोह है, देह अभिमान रहता है तो समझो हमारी अवस्था बहुत कच्ची है। देही-अभिमानी बच्चे ही सच्चा डायमण्ड बनते हैं इसलिए जितना हो सके देही-अभिमानी बनने का अभ्यास करो। बाप को याद करो। 
वरदान:- अपने मस्तक पर श्रेष्ठ भाग्य की लकीर देखते हुए सर्व चिंताओं से मुक्त बेफिक्र बादशाह भव 
बेफिक्र रहने की बादशाही सब बादशाहियों से श्रेष्ठ है। अगर कोई ताज पहनकर तख्त पर बैठ जाए और फिकर करता रहे तो यह तख्त हुआ या चिंता? भाग्य विधाता भगवान ने आपके मस्तक पर श्रेष्ठ भाग्य की लकीर खींच दी, बेफिक्र बादशाह हो गये। तो सदा अपने मस्तक पर श्रेष्ठ भाग्य की लकीर देखते रहो - वाह मेरा श्रेष्ठ ईश्वरीय भाग्य! इसी फ़खुर में रहो तो सब फिकरातें (चिंतायें) समाप्त हो जायेंगी। 
स्लोगन:- एकाग्रता की शक्ति द्वारा रूहों का आवाह्न कर रूहानी सेवा करना ही सच्ची सेवा है।