मीठे बच्चे - पहले हर एक को यह मन्त्र कूट-कूट कर पक्का कराओ कि तुम आत्मा हो,
प्रश्न:- सच्ची सेवा क्या है, जो तुम अभी कर रहे हो?
उत्तर:- भारत जो पतित बन गया है, उसे पावन बनाना-यही सच्ची सेवा है। लोग पूछते हैं
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अतीन्द्रिय सुख का अनुभव करने के लिए अन्दर बाबा-बाबा की उछल आती रहे। हठ
2) जैसे बाप प्यार का सागर है, ऐसे बाप समान प्यार का सागर बनना है। सब पर उपकार
वरदान:- साइलेन्स के साधनों द्वारा माया को दूर से पहचान कर भगाने वाले मायाजीत भव
माया तो लास्ट घड़ी तक आयेगी लेकिन माया का काम है आना और आपका काम है दूर
स्लोगन:- श्रेष्ठ भाग्य की रेखाओं को इमर्ज करो तो पुराने संस्कारों की रेखायें मर्ज हो जायेंगी।
तुम्हें बाप को याद करना है, याद से ही पाप कटेंगे''
प्रश्न:- सच्ची सेवा क्या है, जो तुम अभी कर रहे हो?
उत्तर:- भारत जो पतित बन गया है, उसे पावन बनाना-यही सच्ची सेवा है। लोग पूछते हैं
तुम भारत की क्या सेवा करते हो? तुम उन्हें बताओ कि हम श्रीमत पर भारत की वह
रूहानी सेवा करते हैं जिससे भारत डबल सिरताज बनें। भारत में जो पीस प्रासपर्टी थी,
उसकी हम स्थापना कर रहे हैं।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अतीन्द्रिय सुख का अनुभव करने के लिए अन्दर बाबा-बाबा की उछल आती रहे। हठ
से नहीं, रूचि से बाप को चलते-फिरते याद करो। बुद्धि सब तरफ से हटाकर एक में लगाओ।
2) जैसे बाप प्यार का सागर है, ऐसे बाप समान प्यार का सागर बनना है। सब पर उपकार
करना है। बाप की याद में रहना और सबको बाप की याद दिलाना है।
वरदान:- साइलेन्स के साधनों द्वारा माया को दूर से पहचान कर भगाने वाले मायाजीत भव
माया तो लास्ट घड़ी तक आयेगी लेकिन माया का काम है आना और आपका काम है दूर
से भगाना। माया आवे और आपको हिलाये फिर आप भगाओ, यह भी टाइम वेस्ट हुआ।
इसलिए साइलेन्स के साधनों से आप दूर से ही पहचान लो कि ये माया है। उसे पास में
आने न दो। अगर सोचते हो क्या करूं, कैसे करूं, अभी तो पुरूषार्थी हूँ ...तो यह भी माया
की खातिरी करते हो, फिर तंग होते हो इसलिए दूर से ही परखकर भगा दो तो मायाजीत
बन जायेंगे।
स्लोगन:- श्रेष्ठ भाग्य की रेखाओं को इमर्ज करो तो पुराने संस्कारों की रेखायें मर्ज हो जायेंगी।