मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - ज्ञान सागर बाप तुम्हें रत्नों की थालियां भर-भर कर देते हैं,
प्रश्न:- ज्ञान मार्ग की कौन-सी बात भक्ति मार्ग में भी पसन्द करते हैं?
उत्तर:- स्वच्छता। ज्ञान मार्ग में तुम बच्चे स्वच्छ बनते हो। बाप तुम्हारे मैले कपड़ों को
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) कल्याणकारी बाप के हम बच्चे हैं इसलिए अपना और सर्व का कल्याण करना है।
2) पढ़ाई अच्छी तरह से पढ़कर ज्ञान रत्नों से अपनी झोली भरपूर करनी है।
वरदान:- बुद्धि के साथ और सहयोग के हाथ द्वारा मौज का अनुभव करने वाले खुशनसीब
जैसे सहयोग की निशानी हाथ में हाथ दिखाते हैं। ऐसे बाप के सदा सहयोगी बनना - यह है
स्लोगन:- दुआओं का खाता जमा करने का साधन है - सन्तुष्ट रहना और सन्तुष्ट करना।
जितना चाहे अपनी झोली भरो, सब फ़िकरातों से फ़ारिग हो जाओ''
प्रश्न:- ज्ञान मार्ग की कौन-सी बात भक्ति मार्ग में भी पसन्द करते हैं?
उत्तर:- स्वच्छता। ज्ञान मार्ग में तुम बच्चे स्वच्छ बनते हो। बाप तुम्हारे मैले कपड़ों को
स्वच्छ बनाने आये हैं, आत्मा जब स्वच्छ अर्थात् पावन बन जाती है तब घर में जाने के,
उड़ने के पंख लग जाते हैं। भक्ति में भी स्वच्छता को बहुत पसन्द करते हैं। स्वच्छ बनने
के लिए गंगा में जाकर स्नान करते, लेकिन पानी से आत्मा स्वच्छ नहीं बन सकती।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) कल्याणकारी बाप के हम बच्चे हैं इसलिए अपना और सर्व का कल्याण करना है।
कोई ऐसा कर्म न हो जो की कमाई खत्म हो जाए इसमें खबरदार रहना है।
2) पढ़ाई अच्छी तरह से पढ़कर ज्ञान रत्नों से अपनी झोली भरपूर करनी है।
स्कॉलरशिप लेने का पुरूषार्थ करना है। बाप समान फ़िक्र से फ़ारिग, निश्चिन्त रहना है।
वरदान:- बुद्धि के साथ और सहयोग के हाथ द्वारा मौज का अनुभव करने वाले खुशनसीब
आत्मा भव
जैसे सहयोग की निशानी हाथ में हाथ दिखाते हैं। ऐसे बाप के सदा सहयोगी बनना - यह है
हाथ में हाथ और सदा बुद्धि से साथ रहना अर्थात् मन की लग्न एक में हो। सदा यही स्मृति
रहे कि गाडली गार्डन में हाथ में हाथ देकर साथ-साथ चल रहे हैं। इससे सदा मनोरंजन में
रहेंगे, सदा खुश और सम्पन्न रहेंगे। ऐसी खुशनसीब आत्मायें सदा ही मौज का अनुभव
करती रहती हैं।
स्लोगन:- दुआओं का खाता जमा करने का साधन है - सन्तुष्ट रहना और सन्तुष्ट करना।