मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - बाप का कर्तव्य है, कांटों के जंगल को खलास कर फूलों का बगीचा बनाना,
प्रश्न:- फैमली प्लैनिंग का फर्स्टक्लास शास्त्र कौन-सा है और कैसे?
उत्तर:- गीता है फैमली प्लैनिंग का फर्स्टक्लास शास्त्र क्योंकि गीता द्वारा ही बाप ने अनेक अधर्म विनाश
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपनी अवस्था सदा एकरस अडोल बनाने के लिए किसी के भी नाम-रूप को नहीं देखना हैं। भाई-भाई
2) बाप का प्यार पाने के लिए बाप समान धन्धा करना है, जो आसुरी नींद में सोये हुए हैं उन्हें जगाना है।
वरदान:- नि:स्वार्थ और निर्विकल्प स्थिति से सेवा करने वाले सफलता मूर्त भव
सेवा में सफलता का आधार आपकी नि:स्वार्थ और निर्विकल्प स्थिति है। इस स्थिति में रहने वाले सेवा
स्लोगन:- अब सकाश द्वारा बुद्धियों को परिवर्तन करने की सेवा प्रारम्भ करो।
इससे ही नम्बरवन फैमली प्लैनिंग हो जाती है''
प्रश्न:- फैमली प्लैनिंग का फर्स्टक्लास शास्त्र कौन-सा है और कैसे?
उत्तर:- गीता है फैमली प्लैनिंग का फर्स्टक्लास शास्त्र क्योंकि गीता द्वारा ही बाप ने अनेक अधर्म विनाश
कर एक धर्म स्थापन किया। गीता में ही भगवान् के महावाक्य हैं-काम महाशत्रु है। जब काम शत्रु पर
जीत पा लेते हो तो फैमली प्लैनिंग स्वत: हो जाती है। यह एक बाप का ही काम है। किसी मनुष्य का नहीं।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अपनी अवस्था सदा एकरस अडोल बनाने के लिए किसी के भी नाम-रूप को नहीं देखना हैं। भाई-भाई
को देखो। दृष्टि को पावन बनाओ। समझाने में रूहाब धारण करो।
2) बाप का प्यार पाने के लिए बाप समान धन्धा करना है, जो आसुरी नींद में सोये हुए हैं उन्हें जगाना है।
गोरा बनकर दूसरों को बनाना है।
वरदान:- नि:स्वार्थ और निर्विकल्प स्थिति से सेवा करने वाले सफलता मूर्त भव
सेवा में सफलता का आधार आपकी नि:स्वार्थ और निर्विकल्प स्थिति है। इस स्थिति में रहने वाले सेवा
करते स्वयं भी सन्तुष्ट और हर्षित रहते और उनसे दूसरे भी सन्तुष्ट रहते। सेवा में संगठन होता है और
संगठन में भिन्न-भिन्न बातें, भिन्न-भिन्न विचार होते हैं। लेकिन अनेकता में मूंझो नहीं। ऐसा नहीं
सोचो किसका मानें, किसका नहीं मानें। नि:स्वार्थ और निर्विकल्प भाव से निर्णय लो तो किसी को भी
व्यर्थ संकल्प नहीं आयेगा और सफलता मूर्त बन जायेंगे।
स्लोगन:- अब सकाश द्वारा बुद्धियों को परिवर्तन करने की सेवा प्रारम्भ करो।