मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - जब तुम बाप की गोद में आते हो तो यह दुनिया ही ख़त्म हो जाती है, तुम्हारा
प्रश्न:- किस एक रस्म के आधार पर बाप के अवतरण को सिद्ध कर सकते हो?
उत्तर:- भारत में हर वर्ष पित्र खिलाने की रस्म चली आई है, किसी ब्राह्मण में आत्मा को बुलाते हैं, फिर उनसे
गीत:- मरना तेरी गली में.....
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) मात-पिता को फालो कर आप समान बनाने की सेवा करनी है। स्वदर्शन चक्रधारी बनना और बनाना है।
2) बाप के गले का हार बनने के लिये बुद्धि से बाप को याद करना है, आवाज नहीं करनी है। याद की धुन में रहना है।
वरदान:- सर्व खजानों को स्वयं में समाकर, दिलशिकस्त-पन वा ईर्ष्या से मुक्त रहने वाले सदा प्रसन्नचित भव
बापदादा ने सभी बच्चों को समान रूप से सब खजाने दिये हैं लेकिन कोई उन प्राप्तियों को स्वयं में समा नहीं
स्लोगन:- स्वार्थ के बिना सच्चे दिल से सेवा करने वाले ही स्वच्छ आत्मा हैं।
अगला जन्म नई दुनिया में होता है इसलिये कहावत है - आप मुये मर गई दुनिया''
प्रश्न:- किस एक रस्म के आधार पर बाप के अवतरण को सिद्ध कर सकते हो?
उत्तर:- भारत में हर वर्ष पित्र खिलाने की रस्म चली आई है, किसी ब्राह्मण में आत्मा को बुलाते हैं, फिर उनसे
बातें करते हैं, उसकी आश पूछते हैं। अब शरीर तो आता नहीं, आत्मा ही आती है। यह भी ड्रामा में नूँध है। जैसे
आत्मा प्रवेश कर सकती है वैसे ही परमात्मा का भी अवतरण होता है, यह तुम बच्चे सिद्ध कर समझा सकते हो।
गीत:- मरना तेरी गली में.....
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) मात-पिता को फालो कर आप समान बनाने की सेवा करनी है। स्वदर्शन चक्रधारी बनना और बनाना है।
2) बाप के गले का हार बनने के लिये बुद्धि से बाप को याद करना है, आवाज नहीं करनी है। याद की धुन में रहना है।
वरदान:- सर्व खजानों को स्वयं में समाकर, दिलशिकस्त-पन वा ईर्ष्या से मुक्त रहने वाले सदा प्रसन्नचित भव
बापदादा ने सभी बच्चों को समान रूप से सब खजाने दिये हैं लेकिन कोई उन प्राप्तियों को स्वयं में समा नहीं
सकते व समय पर कार्य में लगाना नहीं आता तो सफलता दिखाई नहीं देती फिर स्वयं से दिलशिकस्त हो
जाते हैं, सोचते हैं शायद मेरा भाग्य ही ऐसा है। उन्हें फिर दूसरों की विशेषता वा भाग्य को देख ईर्ष्या उत्पन्न
होती है। ऐसे दिलशिकस्त होने वा ईर्ष्या करने वाले कभी प्रसन्न नहीं रह सकते। सदा प्रसन्न रहना है तो इन
दोनों बातों से मुक्त रहो।
स्लोगन:- स्वार्थ के बिना सच्चे दिल से सेवा करने वाले ही स्वच्छ आत्मा हैं।