Tuesday, February 10, 2015
मुरली 11 फरवरी 2015
“मीठे बच्चे - तुम्हें चलते फिरते याद में रहने का अभ्यास करना है । ज्ञान और योग यही मुख्य दो चीजें हैं, योग माना याद |”
प्रश्न:-
अक्लमंद (होशियार) बच्चे कौन से बोल मुख से नहीं बोलेंगे?
उत्तर:-
हमें योग सिखलाओ, यह बोल अक्लमंद बच्चे नहीं बोलेंगे । बाप को याद करना सीखना होता है क्या! यह पाठशाला है पढ़ने पढ़ाने के लिए । ऐसे नहीं, याद करने के लिए कोई खास बैठना है । तुम्हें कर्म करते बाप को याद करने का अभ्यास करना है ।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. काम-काज करते याद में रहने की आदत डालनी है । बाप के साथ जाने वा पावन नई दुनिया का मालिक बनने के लिए पवित्र जरूर बनना है ।
2. ऊंच पद पाने के लिए बहुतों की सेवा करनी है । बहुतों को पढ़ाना है । मैसेन्जर बन यह मैसेज सभी तक पहुँचाना है ।
वरदान:-
पुरूषार्थ के सूक्ष्म आलस्य का भी त्याग करने वाले आलराउन्हर अलर्ट भव !
पुरूषार्थ की थकावट आलस्य की निशानी है । आलस्य वाले जल्दी थकते हैं, उमंग वाले अथक होते हैं । जो पुरूषार्थ में दिलशिकस्त होते हैं उन्हें ही आलस्य आता है, वह सोचते हैं क्या करें इतना ही हो सकता है, ज्यादा नहीं हो सकता । हिम्मत नहीं है, चल तो रहे हैं, कर तो रहे हैं- अब इस सूक्ष्म आलस्य का भी नाम निशान न रहे इसके लिए सदा अलर्ट, एवररेडी और आलराउन्डर बनो ।
स्लोगन:-
समय के महत्व को सामने रख सर्व प्राप्तियों का खाता फुल जमा करो ।
ओम् शांति |