Saturday, January 11, 2014

Murli-[11-1-2014]- Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - जैसे बाप तुम्हारा श्रृंगार करते हैं ऐसे तुम्हें भी दूसरों का करना है, 
सारा दिन सर्विस करो, जो आये उसे समझाओ, फिकरात की कोई बात नहीं।'' 

प्रश्न:- यह नॉलेज कोटों में कोई ही समझते वा धारण करते हैं - ऐसा क्यों? 
उत्तर:- क्योंकि तुम सब नई बातें सुनाते हो। तुम कहते हो परमात्मा बिन्दी मिसल है तो सुनकर 
ही मूँझ जाते हैं। शास्त्रों में तो यह सब बातें सुनी ही नहीं हैं। इतना समय जो भक्ति की है वह 
खींचती है इसलिए जल्दी समझते नहीं। कोई-कोई फिर ऐसे परवाने भी निकलते हैं जो कहते 
हैं बाबा हम तो विश्व का मालिक ज़रूर बनेंगे। हमें ऐसा बाबा मिला हम छोड़ कैसे सकते। 
सब कुछ न्योछावर करने की उछल आ जाती है। 

गीत:- दूरदेश के रहने वाले.. 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) भाई-भाई की दृष्टि पक्की करनी है। हम आत्मा, आत्मा भाई से बात करते हैं यह अभ्यास 
कर क्रिमिनल दृष्टि को परिवर्तन करना है। 

2) बाप जब ज्ञान खजाना देते हैं तो याद में बैठ बुद्धि रूपी झोली से खजाना भरना है। चुप 
बैठकर अविनाशी कमाई जमा करनी है। 

वरदान:- श्वांसों श्वांस याद और सेवा के बैलेन्स द्वारा ब्लैसिंग प्राप्त करने वाले सदा प्रसन्नचित भव 

जैसे अटेन्शन रखते हो कि याद का लिंक सदा जुटा रहे वैसे सेवा में भी सदा लिंक जुटा रहे। 
श्वांसों श्वांस याद और श्वांसों श्वांस सेवा हो - इसको कहते हैं बैलेन्स, इस बैलेन्स से सदा 
ब्लैसिंग का अनुभव करते रहेंगे और यही आवाज दिल से निकलेगा कि आशीर्वादों से पल 
रहे हैं। मेहनत से, युद्ध से छूट जायेंगे। क्या, क्यों, कैसे इन प्रश्नों से मुक्त हो सदा प्रसन्नचित 
रहेंगे। फिर सफलता जन्म सिद्ध अधिकार के रूप में अनुभव होगी। 

स्लोगन:- बाप से इनाम लेना है तो स्वयं से और साथियों से निर्विघ्न रहने का सर्टीफिकेट साथ हो।