Saturday, November 3, 2012

Murli [3-11-2012]-Hindi

मीठे बच्चे - तुम इस रूहानी युनिवर्सिटी के स्टूडेण्ट हो, तुम्हारा काम है सारी युनिवर्स को बाप का मैसेज देना'' 
प्रश्न: अभी तुम बच्चे कौन सा ढिंढोरा पीटते और कौन सी बात समझाते हो? 
उत्तरः- तुम ढिंढोरा पीटते हो कि यह नई दैवी राजधानी फिर से स्थापन हो रही है। अनेक धर्मो का अब विनाश होना है। तुम सबको समझाते हो कि सब बेफिकर रहो, यह इन्टरनेश्नल रोला है। लड़ाई जरूर लगनी है, इसके बाद दैवी राजधानी आयेगी। 

धारणा के लिए मुख्य सारः- 
1) अपनी स्थिति ऐसी अचल और निर्भय बनानी है जो अन्तिम विनाश की सीन को देख सकें। मेहनत करनी है देही-अभिमानी बनने की। 
2) नई राजधानी में ऊंच पद पाने के लिए पढ़ाई पर पूरा-पूरा ध्यान देना है। पास होकर विजय माला का दाना बनना है। 

वरदानः- मस्तक द्वारा सन्तुष्टता के चमक की झलक दिखाने वाले साक्षात्कारमूर्त भव 
जो सदा सन्तुष्ट रहते हैं, उनके मस्तक से सन्तुष्टता की झलक सदा चमकती रहती है, उन्हें कोई भी उदास आत्मा यदि देख लेती है तो वह भी खुश हो जाती है, उसकी उदासी मिट जाती है। जिनके पास सन्तुष्टता की खुशी का खजाना है उनके पीछे स्वतः ही सब आकर्षित होते हैं। उनका खुशी का चेहरा चैतन्य बोर्ड बन जाता है जो अनेक आत्माओं को बनाने वाले का परिचय देता है। तो ऐसी सन्तुष्ट रहने और सर्व को सन्तुष्ट करने वाली सन्तुष्ट मणियां बनो जिससे अनेकों को साक्षात्कार हो। 
स्लोगनः- चोट लगाने वाले का काम है चोट लगाना और आपका काम है अपने को बचा लेना।