Wednesday, September 5, 2012

Murli [5-09-2012]-Hindi

मुरली सार:- मीठे बच्चे - कभी मदभेद में आकर पढ़ाई मत छोड़ो, पढ़ाई छोड़ने से माया अजगर के पेट में चले जायेंगे 
प्रश्न: यह कॉमन सतसंग न होने के कारण बाप को किन बातों में बच्चों को बार-बार सावधान करना पड़ता है? 
उत्तर: यह दुनिया के सतसंगों की तरह सतसंग नहीं, यहाँ तो पावन बनने की शिक्षा मिलती है। पावन बनने में माया के विघ्न पड़ते हैं इसलिए बाप को बार-बार सावधान करना पड़ता है। बच्चे कभी, कुछ भी हो-तुम सुख-दु:ख, निंदा-स्तुति सुनते पढ़ाई को कभी नहीं छोड़ना। 2- अपने को मिया मिट्ठू समझ किसी की ग्लानी मत करना। माया बड़ी चंचल है। अगर बाप से रूठकर पढ़ाई छोड़ी तो माया माथा मूड लेगी। गृहचारी बैठ जायेगी, इसलिए श्रीमत लेते रहना। बापदादा की राय में कभी टीका-टिप्पणी नहीं करना। 
गीत:- मरना तेरी गली में... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) अमृतवेले उठ विचार सागर मंथन करना है। कभी भी संशयबुद्धि बन, संगदोष में आकर पढ़ाई नहीं छोड़नी है। 
2) माला का मणका बनने के लिए वफ़ादार, फरमानबरदार बनना है। अपनी चलन रॉयल रखनी है। बहुत-बहुत मीठा बनना है। 
वरदान: यथार्थ याद द्वारा सर्व शक्ति सम्पन्न बनने वाले सदा शस्त्रधारी, कर्मयोगी भव 
यथार्थ याद का अर्थ है सर्व शक्तियों से सदा सम्पन्न रहना। परिस्थिति रूपी दुश्मन आये और शस्त्र काम में नहीं आये तो शस्त्रधारी नहीं कहा जायेगा। हर कर्म में याद हो तब सफलता होगी। जैसे कर्म के बिना एक सेकण्ड भी नहीं रह सकते, वैसे कोई भी कर्म योग के बिना नहीं कर सकते इसलिए कर्म-योगी, शस्त्रधारी बनो और समय पर सर्व शक्तियों को आर्डर प्रमाण यूज़ करो-तब कहेंगे यथार्थ योगी। 
स्लोगन: जिनके संकल्प और कर्म महान हैं वही मास्टर सर्वशक्तिमान् हैं।