Saturday, July 11, 2015

मुरली 12 जुलाई 2015

सिद्धि स्वरूप होने की विधि - एकाग्रता

वरदान:

सत्यता के आधार पर एक बाप को प्रत्यक्ष करने वाले, निर्भय अथॉरिटी स्वरूप भव

सत्यता ही प्रत्यक्षता का आधार है। बाप को प्रत्यक्ष करने के लिए निर्भय और अथॉरिटी स्वरूप बनकर बोलो, संकोच से नहीं। जब अनेक मत वाले सिर्फ एक बात को मान लेंगे कि हम सबका बाप एक है और वही अब कार्य कर रहे हैं, हम सब एक की सन्तान एक हैं और यह एक ही यथार्थ है..तो विजय का झण्डा लहरा जायेगा। इसी संकल्प से मुक्तिधाम जायेंगे और फिर जब अपना-अपना पार्ट बजाने आयेंगे तो पहले यही संस्कार इमर्ज होंगे कि गाड इज वन। यही गोल्डन एज की स्मृति है।

स्लोगन:

सहन करना ही स्वयं के शक्ति रूप को प्रत्यक्ष करना है।



ओम् शांति ।

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12-07-15 प्रात:मुरली ओम् शान्ति “अव्यक्त-बापदादा” रिवाइज:28-12-79 मधुबन

सिद्धि स्वरूप होने की विधि - एकाग्रता
बापदादा सभी तीव्र पुरुषार्थी बच्चों को देख रहे हैं। तीव्र पुरूषार्थ की सहज विधि जिससे सहज सिद्धि प्राप्त हो जाए अर्थात् सदा सिद्धि स्वरूप हो जाएँ, संकल्प, बोल व कर्म सिद्ध हो जाएँ, जिससे विश्व के आगे प्रसिद्ध होंगे, वह सहज विधि कौन सी है? एक शब्द की विधि है, जिस एक शब्द को अपनाने से सिद्धि स्वरूप हो जायेंगे। जिससे संकल्प, बोल और कर्म तीनों का सम्बन्ध है - वह एक शब्द है “एकाग्रता”! संकल्प में सिद्धि न होने का कारण भी एकाग्रता की कमी है। एकाग्रता कम होने के कारण हलचल होती है। जहाँ एकाग्रता होगी वहाँ स्वत: ही एकरस स्थिति होगी। जहाँ एकाग्रता होगी वहाँ संकल्प, बोल और कर्म का व्यर्थ पन समाप्त हो जाता है और समर्थ पन आ जाता है। समर्थ होने के कारण सबमें सिद्धि हो जाती है। एकाग्रता अर्थात् एक ही श्रेष्ठ संकल्प में सदा स्थित रहना। जिस एक बीज रूपी संकल्प में सारा वृक्ष रूपी विस्तार समाया हुआ है। एकाग्रता को बढ़ाओ तो सर्व प्रकार की हलचल समाप्त हो जायेगी। एकाग्रता अपनी तरफ आकर्षित भी करती है। जैसे कोई भी वस्तु स्वयं हलचल वाली होगी तो औरों को भी हलचल में लायेगी। जैसे यहाँ की लाइट हलचल में आ जाती है (बीच-बीच में बिजली बन्द हो जाती थी) कभी बुझती, कभी जलती है तो सबके संकल्प में हलचल आ जाती है, यह क्या हुआ? एकाग्र वस्तु औरों को भी एकाग्रता का अनुभव करायेगी। एकाग्रता के आधार पर ही जो वस्तु जैसी है, वैसी स्पष्ट देखने में आयेगी। ऐसी एकाग्र स्थिति में स्थित होने वाला स्वयं को भी सदा जो है, जैसा है वह स्पष्ट अनुभव करते हैं और इस कारण कैसे हो, क्या हो? यह हलचल समाप्त हो जाती है। जैसे कोई स्पष्ट वस्तु दिखाई देती है तो कभी क्वेश्चन नहीं उठेगा कि यह क्या है, क्वेश्चन समाप्त हो स्पष्ट अनुभव होगा कि यह ये है। ऐसे स्व- स्वरूप व बाप का स्वरूप एकाग्रता के आधार पर सदा स्पष्ट होगा। कैसे आत्मिक रूप में टिकूँ, आत्मा का स्वरूप ऐसा है या वैसा है? यह हलचल अर्थात् क्वेश्चन खत्म हो जाते हैं। जब क्वेश्चन खत्म होंगे, हलचल समाप्त होगी तो हर संकल्प भी स्पष्ट हो जाता है। हर संकल्प, बोल और कर्म का आदि, मध्य और अन्त तीनों ही काल ऐसे स्पष्ट होते हैं जैसे वर्तमान काल स्पष्ट होता है। संकल्प रूपी बीज शक्तिशाली है तो फल दायक है।

एकाग्रता से सर्व शक्तियाँ सिद्धि स्वरूप में प्राप्त हो जाती हैं क्योंकि स्वरूप स्पष्ट होता है तो स्वरूप की शक्तियाँ भी ऐसे ही स्पष्ट अनुभव होती हैं। समझा, एकाग्रता की महिमा? वैसे भी आजकल की दुनिया में हलचल से तंग आ गये हैं। चाहे राजनीति की हलचल, चाहे वस्तुओं के मूल्य की हलचल, करैन्सी की हलचल, कर्मभोग की हलचल, धर्म की हलचल - ऐसे सर्व प्रकार की हलचल में तंग आ गये हैं। जितने साइन्स के साधन पहले सुख के साधन अनुभव होते थे, आज वह साधन भी हलचल अनुभव कराने वाले हो गये हैं। यहाँ भी ब्राह्मण आत्मायें संकल्प में व सम्पर्क में हलचल से ही थकती हैं इसलिए सहज विधि है - एकाग्रता को अपनाओ। इसके लिए सदा एकान्तवासी बनो। एकान्तवासी से एकाग्र सहज ही हो जायेंगे।

देहली निवासी जैसे स्थापना के कार्य में आदि रत्न बन निमित्त बने। अब सम्पूर्ण समाप्ति के कार्य में भी निमित्त बनो। हर बात की सम्पूर्णता में आदि रत्न निमित्त बनो। सम्पूर्णता ही समाप्ति को लायेगी। देहली के फाउन्डेशन में सब शक्तियों के सहयोग का हाथ पड़ा हुआ है। तो सर्व शक्तियों के सहयोग का हाथ लगने वाली धरती क्या कमाल दिखायेगी? ब्रह्मा बाप और ब्रह्मा की भुजाओं की भी पालना ली हुई धरनी देहली, क्या कमाल कर दिखायेगी? किस विधि से सम्पूर्णता लायेगी? कुम्भकरणों को कैसे जगायेगी? नई सौगात क्या तैयार की है?

देहली वाले कौन सी सौगात बापदादा को देंगे? फॉरेन क्या देगी? गुजरात क्या देगी? सभी ज़ोन से सौगात आनी चाहिए। स्थापना के आदि में पहले देहली आई है तो सौगात देने में भी देहली को नम्बरवन होना चाहिए। बच्चों को, बाप को सौगात देनी है। बाप की इच्छा को अभी तक जाना नहीं है क्या? हरेक सोचे, कौन-सी सौगात देनी है क्योंकि हर साल कोई-न- कोई नई इन्वेन्शन जरुर होनी चाहिए। जो नवीनता स्वयं में भी और सेवा में भी नवीनता लाए। उसका प्लैन क्या है, प्रैक्टिकल प्लैन बताओ। कुछ भी करो लेकिन सौगात रूप में लाना जरुर है। फिर देखेंगे हर ज़ोन से नम्बर वन सौगात किसकी है। देहली में महारथियों की तो कमी नहीं है। इतने सब महारथी तो महान सौगात तैयार करेंगे ना? प्लैन और पुरूषार्थ दोनों ही करना है। रेस तो करनी चाहिए ना? सबका विचार सागर मंथन तो चलेगा। अमृतवेले समीप आकर बैठ जायेंगे तो आपेही सब टचिंग होगी।

जितनी राजनीति की देहली में हलचल है, उतनी सतधर्म की नीति की भी हलचल हो। अभी राज्य की हलचल ज्यादा है और सतधर्म की हलचल कम है, गुप्त है। पहले देहली हिलेगी तब सब गद्दियाँ हिलेंगी। कोई ऐसा लाइट हाउस बनाओ जो सबकी नज़र जाए। जैसे लाइट हाउस की तरफ सबका अटेन्शन जाता है ऐसे कोई ऊंचा लाइट हाउस का प्लैन बनाओ। जो सबको अनुभव हो कि यही हमारा सहारा है। हलचल के समय सहारा वैसे भी ढूँढते हैं। ऐसा कोई पॉवरफुल प्लैन बनाओ जो उनको लाइट हाउस के मुआफ़िक एक सहारा मिल जाए। समझा? अब सोचो। सब पुरानी बड़ी-बड़ी टीचर्स देहली में हैं, अनुभवी टीचर्स हैं। अनुभवी टीचर्स द्वारा जरूर प्लैन भी ऐसा ही निकलेगा। देहली से जो आवाज़ निकलेगी तो छोटे-छोटे स्थानों में आपेही पहुँचेगी। पहले देहली को पॉवरफुल बनाना है। फारेन से आवाज़ निकलेगा तो वह पहुँचेगा कहाँ? देहली ही आवाज़ को रिसीव करेगी। देहली का कनेक्शन बहुत है। अब देहली की शक्तियाँ थोड़ा मैदान पर आयें तो आवाज़ सहज निकल सकता है।

“विदेशी भाई बहनों के साथ - अव्यक्त बाप-दादा की मुलाकात”

लेस्टर पार्टी - सदा सर्विसएबुल रत्न हो? सर्विसएबुल का अर्थ है - हर सेकेण्ड चाहे मन्सा, चाहे वाचा, चाहे कर्मणा द्वारा वा संग, सम्बन्ध, सम्पर्क द्वारा सेवा करने वाले। सर्विसएबुल अर्थात् आलराउण्ड सेवाधारी। सर्विसएबुल कभी भी यह नहीं सोचेंगे कि सर्विस का टाइम नहीं मिलता, चान्स नहीं मिलता। अगर और कोई टाइम न भी हो तो नींद के समय भी सेवा कर सकते हो। आलराउण्ड सेवाधारी अर्थात् सदा सर्विसएबुल। सदा सेवा के शौकीन हो वृद्धि करते रहते हो ना? सारे दिन के चार्ट में चेक करो कि सर्व प्रकार की सेवा में मार्क्स ली या सिर्फ वाचा और कर्मणा सेवा की? सब प्रकार की सेवा का खाता भरना चाहिए। ऐसे अपना रोज़ का चार्ट चेक करो क्योंकि यहाँ के आलराउण्ड सेवाधारी वहाँ आलराउण्ड विश्व के मालिक बनेंगे। जितनी यहाँ सेवा में कमी होगी, उतनी वहाँ भी बेहद और हर स्टेट में अन्तर हो जायेगा। विश्व-महाराजन अर्थात् आलराउण्ड सेवाधारी। वैसे लेस्टर निवासियों की महिमा सेवा में अच्छी है। एक अनेकों को जगाने की सेवा करते हैं। विदेश की सेवा में लेस्टर का विशेष सहयोग है। विदेश सेवा के बीज में लेस्टर निवासियों का पानी अच्छी तरह पड़ा है। बाप-दादा भी ऐसे सहयोगी आत्माओं को देख खुश होते हैं। इस सेन्टर में सारी सजावट है कुमार भी हैं, कुमारियाँ भी हैं, प्रवृत्ति वाले भी हैं....यही सेन्टर का श्रृंगार है। किसी प्रकार के वैराइटी की कमी नहीं है। अब कोई नया प्लैन बनाओ - कोई ऐसा परमात्म बाम्ब तैयार किया है? जैसे एक बाम्ब लगाने से सहज ही सबकी दुनिया के हिसाब से गति हो जाती है अर्थात् जो लक्ष्य रखते हैं विनाश का, वह विनाश हो जाता है, तो ऐसा परमात्म बाम्ब तैयार किया है जो सबकी गति सद्गति हो जाए। सभी सिकीलधे हो क्योंकि आप कितना भी देश छोड़कर विदेश गये, इतना दूर चले गये तो भी बाप ने अपना बना लिया। इण्डिया से दूर किनारे हो गये फिर भी किनारे से ढूँढ अपना बना लिया। बाप को

ढूँढना पड़ा ना विदेश तक, तो विशेष सिकीलधे हो गये।

युगलों से - युगल मूर्त अर्थात् सेवा के लिए सैम्पल रूप। प्रवृत्ति में भी इसीलिए रखा हुआ है कि विश्व के आगे सेवा का एक सैम्पल बन जाएं। तो प्रवृत्ति में रहते विश्व के शो केस में विशेष शो पीस होकर चलते हो? एक शो पीस अनेकों का सौदा कराने के निमित्त बन जाता है। तो जो प्रवृत्ति में रहते हैं वह अपने को विशेष शो पीस समझकर रहो तो बहुत सेवा के निमित्त बनेंगे। घर में नहीं रहते हो, शो केस में रहते हो। शो केस में अपने को समझेंगे तो सदैव सजा सजाया रहेंगे। शो केस में गन्दी चीज़ नहीं रखी जाती।

अभी थोड़ा समय आगे बढ़ेगा तो सारे विश्व के अन्दर प्रवृत्ति में रहकर निवृत्त रहने वालों का नाम बाला होगा। आप लोगों का दर्शन करने के लिए तड़फते हुए आयेंगे। कहेंगे कौन-सी बहादुर आत्मायें हैं, जो हम नहीं कर पाये वह करके दिखा रही हैं। युगलों की अपरमपार महिमा होगी। बाप के कार्य को प्रत्यक्ष करने के निमित्त बनेंगे। कोई साधारण नहीं हो। विशेष आत्मायें हो।

कुमारों से:- सभी अविनाशी कुमार हैं। कुमार कुमारियों को एक्स्ट्रा मार्क्स किस बात की मिलती हैं और क्यों मिलती हैं? कुमार कुमारियाँ अपने इस जीवन में सब-कुछ देखते हुए, जानते हुए, फिर भी दृढ़ संकल्प कर दृढ़ त्यागी बनते हैं। उस त्याग का भाग्य मिलता है। प्रवृत्ति वाले अल्पकाल का सुख भोगकर फिर त्याग करते हैं और कुमार कुमारी विनाशी अल्पकाल के सुख का पहले ही दृढ़ संकल्प से त्याग कर देते हैं इसलिए उन्हें चान्स मिलता है हाई जम्प लगाने का। कुमार और कुमारी जीवन लौकिक और अलौकिक दोनों जीवन में निर्बन्धन है। निर्बन्धन होने के कारण जितना आगे बढ़ाना चाहें, बढ़ सकते हैं। तो सभी हाई जम्प वाले हो ना? सेकेण्ड में सोचा और किया, यही हाई जम्प है। सोचना और करना साथ-साथ हो। कुमार और कुमारियों को देख बाप-दादा विशेष खुश होते हैं क्योंकि गिरने से बच गये। दु:ख की सीढ़ी चढ़ी ही नहीं। तो बचे हुए को देख खुशी होती है।

अमेरिका पार्टी - सदा बाप के सर्व सम्बन्धों और सर्व खजानों का अनुभव करते हो? जैसे बाप के गुण हैं, उन सर्व गुणों का अनुभव होता है? सर्व खजानों में से व सर्व सम्बन्धों में से अगर एक भी सम्बन्ध का अनुभव कम हुआ तो वह सम्बन्ध अपनी तरफ आकर्षित कर बाप से दूर कर देता है इसलिए चेक करो कि सर्व सम्बन्धों का अनुभव किया है? सर्व खजानों के मालिक और फिर बालक। कर्म करने के लिए, सेवा करने के लिए डायरेक्शन पर चलने वाले बालक और फिर अपनी ऊंची स्थिति में स्थित होने के समय मालिक। बालक और मालिक दोनों ही स्टेज का अनुभव है? जो अभी बाप द्वारा मिले हुए सर्व खज़ानों के मालिक बनते हैं, वही मालिकपन के संस्कार भविष्य में विश्व का मालिक बना देते हैं। सदा अनुभवों की खान से सम्पन्न स्थिति का अनुभव करो। अनुभव जीवन को परिवर्तन करने में सहज साधन बन जायेगा। आजकल आपके देश में मैजॉरटी एक सेकेण्ड की शान्ति का अनुभव करना चाहते हैं। ऐसी तड़फती हुई आत्माओं को सेकेण्ड में शान्ति का अनुभव कराने के लिए सदा अपनी स्थिति शान्त स्वरूप की रहे तब औरों को अनुभव करा सकेंगे। तो रहम आता है आत्माओं पर? बहुत भिखारी बन करके आपके पास आयेंगे। इतने सम्पन्न होंगे तो अनेक भिखारियों को तृप्त कर सकेंगे।

अमेरिका वाले हाई जम्प लगाने वाले हैं या उड़ाने वाले? एक सेकेण्ड में इस पुरानी दुनिया से उड़कर अपने स्वीट साइलेन्स होम में पहुँच जाना। ऐसे उड़ने वाले हो ना? उड़ते पंछी अर्थात् सदा डबल लाइट स्थिति में स्थित रहें। ऐसे ही उड़ते पंछी उड़ते रहो और अनेकों को उड़ाते रहो।

जो सुख शान्ति के भिखारी हैं उनको सुख शान्ति देकर सम्पन्न बनाओ तो पीस मेकर हो जायेंगे। सभी दिल से आपकी शुक्रिया गायेंगे। अमेरिका में जो सेन्टर खुला है इसमें भी रहस्य है, विशेष कार्य होना है। विनाश और स्थापना दोनों का साक्षात्कार साथ-साथ होगा। उस तरफ विनाशकारी और इस तरफ पीस मेकर। साइन्स और साइलेन्स, दोनों शक्तियों का मुकाबला देखेंगे। चारों ओर से अमेरिका को परिवर्तन करने का घेराव डालो। महावीर का दिखाते हैं ना कि वह सारी पहाड़ी की पहाड़ी को ले आया, तो आप सब अमेरिका को परिवर्तन कर साइलेन्स की शक्ति का नाम बाला करो। सदा याद रखो हम शान्ति के सागर के बच्चे शान्ति देवा हैं। जो भी सामने आये उसे पीस मेकर बन शान्ति का दान दो।
वरदान:
वरदान:- सत्यता के आधार पर एक बाप को प्रत्यक्ष करने वाले, निर्भय अथॉरिटी स्वरूप भव  
सत्यता ही प्रत्यक्षता का आधार है। बाप को प्रत्यक्ष करने के लिए निर्भय और अथॉरिटी स्वरूप बनकर बोलो, संकोच से नहीं। जब अनेक मत वाले सिर्फ एक बात को मान लेंगे कि हम सबका बाप एक है और वही अब कार्य कर रहे हैं, हम सब एक की सन्तान एक हैं और यह एक ही यथार्थ है..तो विजय का झण्डा लहरा जायेगा। इसी संकल्प से मुक्तिधाम जायेंगे और फिर जब अपना-अपना पार्ट बजाने आयेंगे तो पहले यही संस्कार इमर्ज होंगे कि गाड इज वन। यही गोल्डन एज की स्मृति है।
स्लोगन:
सहन करना ही स्वयं के शक्ति रूप को प्रत्यक्ष करना है।