Friday, May 8, 2015

मुरली 09 मई 2015

“मीठे बच्चे - तुम अभी शान्तिधाम, सुखधाम में जाने के लिए ईश्वरीय धाम में बैठे हो, यह सत का संग है, जहाँ तुम पुरूषोत्तम बन रहे हो |” प्रश्न:- तुम बच्चे बाप से भी ऊंच हो, नींच नहीं - कैसे? उत्तर:- बाबा कहते - बच्चे, मैं विश्व का मालिक नहीं बनता, तुम्हें विश्व का मालिक बनाता हूँ तो ब्रह्माण्ड का भी मालिक बनाता हूँ। मैं ऊंच ते ऊंच बाप तुम बच्चों को नमस्ते करता हूँ, इसलिए तुम मेरे से भी ऊंच हो, मैं तुम मालिकों को सलाम करता हूँ। तुम फिर ऐसा बनाने वाले बाप को सलाम करते हो। धारणा के लिए मुख्य सार :- 1) हम ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण हैं, स्वयं भगवान हमें मनुष्य से देवता बनाने की पढ़ाई पढ़ा रहे हैं, इस नशे और खुशी में रहना है। पुरूषोत्तम संगमयुग पर पुरूषोत्तम बनने का पुरूषार्थ करना है। 2) अभी हमारी वानप्रस्थ अवस्था है, मौत सामने खड़ा है, वापिस घर जाना है..... इसलिए बाप की याद से सब पापों को भस्म करना है। वरदान:- जजमेंट और कन्ट्रोलिंग पावर द्वारा नब्ज को परखने वा अचल स्थिति का प्रभाव डालने वाले सदा सफलतामूर्त भव! किसी भी लौकिक या अलौकिक कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए विशेष कन्ट्रोलिंग पावर और जजमेंट पावर की आवश्यकता होती है क्योंकि जब कोई भी आत्मा आपके सम्पर्क में आती है तो पहले जज करना होता कि इसे किस चीज की जरूरत है, नब्ज द्वारा परख कर उसकी चाहना प्रमाण उसे तृप्त करना और स्वयं की कन्ट्रोलिंग पावर से दूसरे पर अपनी अचल स्थिति का प्रभाव डालना - यही दोनों शक्तियां सेवा के क्षेत्र में सफलतामूर्त बना देती हैं। स्लोगन:- सर्व शक्तिमान को साथी बना लो तो माया पेपर टाइगर बन जायेगी।