Thursday, January 8, 2015
Murli-9/1/2015-Hindi
मुरली 09 जनवरी 2015
“मीठे बच्चे - बाप का पार्ट एक्यूरेट है, वह अपने समय पर आते हैं, ज़रा भी फर्क नहीं पड़ सकता, उनके आने का यादगार शिवरात्रि खूब धूमधाम से मनाओ”
प्रश्न:-
किन बच्चों के विकर्म पूरे-पूरे विनाश नहीं हो पाते?
उत्तर:-
जिनका योग ठीक नहीं है, बाप की याद नहीं रहती तो विकर्म विनाश नहीं हो पाते । योगयुक्त न होने से इतनी सद्गति नहीं होती, पाप रह जाते हैं फिर पद भी कम हो जाता है । योग नहीं तो नाम-रूप में फंसे रहते हैं, उनकी ही बातें याद आती रहती हैं, वह देही- अभिमानी रह नहीं सकते ।
गीत:-
यह कौन आज आया सवेरे सवेरे
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. शिव जयन्ती पर अविनाशी ज्ञान रत्नों की दुकान निकाल सेवा करनी है । घर-घर में रोशनी कर सबको बाप का परिचय देना है ।
2. सच्चे बाप से सच्चा होकर रहना है, कोई भी विकर्म करके छिपाना नहीं है । ऐसा योगयुक्त बनना है, जो कोई भी पाप रह न जाये । किसी के भी नाम-रूप में नहीं फँसना है ।
वरदान:-
दातापन की भावना द्वारा इच्छा मात्रम अविद्या की स्थिति का अनुभव करने वाले तृप्त आत्मा भव !
सदा एक लक्ष्य हो कि हमें दाता का बच्चा बन सर्व आत्माओं को देना है, दातापन की भावना रखने से सम्पन्न आत्मा हो जायेंगे और जो सम्पन्न होंगे वह सदा तृप्त होंगे । मैं देने वाले दाता का बच्चा हूँ-देना ही लेना है, यही भावना सदा निर्विघ्न, इच्छा मात्रम अविद्या की स्थिति का अनुभव कराती है । सदा एक लक्ष्य की तरफ ही नजर रहे, वह लक्ष्य है बिन्दु और कोई भी बातों के विस्तार को देखते हुए नहीं देखो, सुनते हुए भी नहीं सुनो ।
स्लोगन:-
बुद्धि वा स्थिति यदि कमजोर है तो उसका कारण है व्यर्थ संकल्प ।
अव्यक्त स्थिति का अनुभव करने के लिए विशेष होमवर्क
(9) बुद्धि रूपी पांव पृथ्वी पर न रहें । जैसे कहावत है कि फरिश्तों के पांव पृथ्वी पर नहीं होते । ऐसे बुद्धि इस देह रूपी पृथ्वी अर्थात् प्रकृति की आकर्षण से परे रहे । प्रकृति को अधीन करने वाले बनो न कि अधीन होने वाले ।
ओम् शांति |