Friday, January 30, 2015

मुरली 31 जनवरी 2015

“मीठे बच्चे - तुम एक बाप के डायरेक्शन पर चलते चलो तो बाप तुम्हारा रेस्पॉन्सिबुल है, बाप का डायरेक्शन है चलते-फिरते मुझे याद करो”    प्रश्न:- जो अच्छे गुणवान बच्चे हैं उनकी मुख्य निशानियां क्या होंगी? उत्तर:- वह काँटों को फूल बनाने की अच्छी सेवा करेंगे । किसी को भी कांटा नहीं लगायेंगे, कभी भी आपस में लड़ेंगे नहीं । किसी को भी दु:ख नहीं देंगे । दु:ख देना भी कांटा लगाना है । गीत:- यह वक्त जा रहा है..  अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग । रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते । धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. एक बाप की याद से मोस्ट लवली बनना है । चलते फिरते कर्म करते याद में रहने की प्रैक्टिस करनी है । बाप की याद और खुशी में प्रफुल्लित रहना है । 2. कदम-कदम ईश्वरीय डायरेक्शन पर चल हर कार्य करना है । अपनी मगरूरी (देह- अभिमान का नशा) नहीं दिखाना है । कोई भी उल्टा-सुल्टा काम नहीं करना है । मूंझना नहीं है । वरदान:- संकल्प रूपी बीज को कल्याण की शुभ भावना से भरपूर रखने वाले विश्व कल्याणकारी भव !    जैसे सारे वृक्ष का सार बीज में होता है ऐसे संकल्प रूपी बीज हर आत्मा के प्रति, प्रकृति के प्रति शुभ भावना वाला हो । सर्व को बाप समान बनाने की भावना, निर्बल को बलवान बनाने की, दुखी अशान्त आत्मा को सदा सुखी शान्त बनाने की भावना का रस वा सार हर संकल्प में भरा हुआ हो, कोई भी संकल्प रूपी बीज इस सार से खाली अर्थात् व्यर्थ न हो, कल्याण की भावना से समर्थ हो तब कहेंगे बाप समान विश्व कल्याणकारी आत्मा । स्लोगन:- माया के झमेलों से घबराने के बजाए परमात्म मेले की मौज मनाते रहो ।      ओम् शान्ति?