सार:- “मीठे बच्चे - यह हार और जीत, दु:ख और सुख का खेल है, बाप दु:ख से लिबरेट करते हैं, इसलिए बाप को लिबरेटर कहा जाता है”
प्रश्न:- राजाई पद वालों की निशानी क्या होगी?
उत्तर:- उनकी रहनी करनी ही अलग होगी । उनकी कथनी-करनी सब एक होगी । पवित्रता के आधार पर ही राजाई पद प्राप्त होता है इसलिए पवित्रता की निशानी लाइट का ताज दिखाते हैं । वह सिर्फ देवताओं को ही मिल सकता है, जिनकी आत्मा और शरीर दोनों पवित्र हैं ।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. सदा स्मृति में रहे कि हम ईश्वरीय सन्तान हैं, हमारे मुख से कभी कोई कडुवा वचन न निकले । सदैव ज्ञान रत्न ही निकलते रहें । चलन बड़ी रॉयल हो ।
2. देह- अभिमान में आकर कोई भी अवज्ञा नहीं करनी है, इस अन्तिम जन्म में कमल फूल समान पवित्र बन पवित्र दुनिया का मालिक बनना है ।
वरदान:- मैं और मेरे पन को समाप्त कर समानता व सम्पूर्णता का अनुभव करने वाले सच्चे त्यागी भव !
हर सेकेण्ड, हर संकल्प में बाबा-बाबा याद रहे, मैं पन समाप्त हो जाए, जब मैं नहीं तो मेरा भी नहीं । मेरा स्वभाव, मेरे संस्कार, मेरी नेचर, मेरा काम या ड्यूटी, मेरा नाम, मेरी शान जब यह मैं और मेरा पन समाप्त हो जाता तो यही समानता और सम्पूर्णता है । यह मैं और मेरे पन का त्याग ही बड़े से बड़ा सूक्ष्म त्याग है । इस मैं पन के अश्व को अश्वमेध यज्ञ में स्वाहा करो तब अन्तिम आहुति पड़ेगी और विजय के नगाड़े बजेंगे ।
स्लोगन:- हाँ जी कर सहयोग का हाथ बढ़ाना अर्थात् दुआओं की मालायें पहनना ।