Tuesday, January 27, 2015

मुरली 27 जनवरी 2015

सार:-  “मीठे बच्चे - यह हार और जीतदु:ख और सुख का खेल है, बाप दु:ख से लिबरेट करते हैंइसलिए बाप को लिबरेटर कहा जाता है
प्रश्न:-    राजाई पद वालों की निशानी क्या होगी?
उत्तर:- उनकी रहनी करनी ही अलग होगी । उनकी कथनी-करनी सब एक होगी । पवित्रता के आधार पर ही राजाई पद प्राप्त होता है इसलिए पवित्रता की निशानी लाइट का ताज दिखाते हैं । वह सिर्फ देवताओं को ही मिल सकता हैजिनकी आत्मा और शरीर दोनों पवित्र हैं ।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1सदा स्मृति में रहे कि हम ईश्वरीय सन्तान हैंहमारे मुख से कभी कोई कडुवा वचन न निकले । सदैव ज्ञान रत्न ही निकलते रहें । चलन बड़ी रॉयल हो ।
2. देह- अभिमान में आकर कोई भी अवज्ञा नहीं करनी हैइस अन्तिम जन्म में कमल फूल समान पवित्र बन पवित्र दुनिया का मालिक बनना है ।
वरदान:- मैं और मेरे पन को समाप्त कर समानता व सम्पूर्णता का अनुभव करने वाले सच्चे त्यागी भव !
हर सेकेण्डहर संकल्प में बाबा-बाबा याद रहेमैं पन समाप्त हो जाएजब मैं नहीं तो मेरा भी नहीं । मेरा स्वभावमेरे संस्कारमेरी नेचरमेरा काम या ड्यूटीमेरा नाममेरी शान जब यह मैं और मेरा पन समाप्त हो जाता तो यही समानता और सम्पूर्णता है । यह मैं और मेरे पन का त्याग ही बड़े से बड़ा सूक्ष्म त्याग है । इस मैं पन के अश्व को अश्वमेध यज्ञ में स्वाहा करो तब अन्तिम आहुति पड़ेगी और विजय के नगाड़े बजेंगे ।
स्लोगन:-  हाँ जी कर सहयोग का हाथ बढ़ाना अर्थात् दुआओं की मालायें पहनना ।