Monday, January 26, 2015

मुरली 26 जनवरी 2015

“मीठे बच्चे - तुम भारत के मोस्ट वैल्युबुल सर्वेंट हो, तुम्हें अपने तन-मन-धन से श्रीमत पर इसे रामराज्य बनाना है”    प्रश्न:-    सच्ची अलौकिक सेवा कौन-सी है, जो अभी तुम बच्चे करते हो? उत्तर:- तुम बच्चे गुप्त रीति से श्रीमत पर पावन भूमि सुखधाम की स्थापना कर रहे हो - यही भारत की सच्ची अलौकिक सेवा है । तुम बेहद बाप की श्रीमत पर सबको रावण की जेल से छुड़ा रहे हो । इसके लिए तुम पावन बनकर दूसरों को पावन बनाते हो । गीत:- नयन हीन को राह दिखाओ..  धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. जैसे हाइएस्ट बापदादा सिम्पुल रहते हैं ऐसे बहुत-बहुत सिम्पुल, निराकारी और निरहंकारी बनकर रहना है । बाप द्वारा जो फर्स्टक्लास ज्ञान मिला है, उसका चिंतन करना है । 2. ड्रामा जो हूबहू रिपीट हो रहा है, इसमें बेहद का पुरुषार्थ कर बेहद सुख की प्राप्ति करनी है । कभी ड्रामा कहकर रुक नहीं जाना है । प्रालब्ध के लिए पुरुषार्थ जरूर करना है । वरदान:- कर्मों की गति को जान गति-सद्गति का फैंसला करने वाले मास्टर दुःख हर्ता सुख कर्ता भव !    अभी तक अपने जीवन की कहानी देखने और सुनाने में बिजी नहीं रहो । बल्कि हर एक के कर्म की गति को जान गति सद्गति देने के फैंसले करो । मास्टर दुख हर्ता सुख कर्ता का पार्ट बजाओ । अपनी रचना के दुख अशान्ति की समस्या को समाप्त करो, उन्हें महादान और वरदान दो । खुद फैसल्टीज़ (सुविधायें) न लो, अब तो दाता बनकर दो । यदि सैलवेशन के आधार पर स्वयं की उन्नति वा सेवा में अल्पकाल के लिए सफलता प्राप्त हो भी जाये तो भी आज महान होंगे कल महानता की प्यासी आत्मा बन जायेंगे । स्लोगन:-  अनुभूति न होना-युद्ध की स्टेज है, योगी बनो योद्धे नहीं ।      अव्यक्त स्थिति का अनुभव करने के लिए विशेष होमवर्क चलते-फिरते अपने को निराकारी आत्मा और कर्म करते अव्यक्त फरिश्ता समझो तो साक्षी दृष्टा बन जायेंगे। इस देह की दुनिया में कुछ भी होता रहे, लेकिन फरिश्ता ऊपर से साक्षी हो सब पार्ट देखते, सकाश अर्थात् सहयोग देता है । सकाश देना ही निभाना है।   ओम् शांति |