Thursday, January 22, 2015
मुरली 23 जनवरी 2015
“मीठे बच्चे - बाप आया है तुम बच्चों को स्वच्छ बुद्धि बनाने, जब स्वच्छ बन तब तुम देवता बन सकेंगें”
प्रश्न:-
इस ड्रामा का बना-बनाया प्लैन कौन-सा है, जिससे बाप भी छूट नहीं सकता?
उत्तर:-
हर कल्प में बाप को अपने बच्चों के पास आना ही है, पतित दुःखी बच्चों को सुखी बनाना ही है-यह ड्रामा का प्लैन बना हुआ है, इस बंधन से बाप भी नहीं छूट सकता है ।
प्रश्न:-
पढ़ाने वाले बाप की मुख्य विशेषता क्या है?
उत्तर:-
वह बहुत निरहंकारी बन पतित दुनिया, पतित तन में आते हैं । बाप इस समय तुम्हें स्वर्ग का मालिक बनाते, तुम फिर द्वापर में उनके लिए सोने का मन्दिर बनाते हो ।
गीत:-
इस पाप की दुनिया से..
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. माया का बहुत बड़ा पॉम्प है, इससे अपना मुँह मोड़ लेना है । सदा इसी खुशी में रोमांच खड़े हो कि हम तो अभी पुरूषोत्तम बन रहे हैं, भगवान हमें पढ़ाते हैं ।
2. विश्व का राज्य- भाग्य लेने के लिए सिर्फ पवित्र बनना है । जैसे बाप निरहंकारी बन पतित दुनिया,पतित तन में आते हैं, ऐसे बाप समान निरहंकारी बन सेवा करनी है ।
वरदान:-
ग्लानी करने वाले को भी गुणमाला पहनाने वाले इष्ट देव, महान आत्मा भव !
जैसे आजकल आप विशेष आत्माओं का स्वागत करते समय कोई गले में स्थूल माला डालते हैं तो आप डालने वाले के गले में रिटर्न कर देते हो, ऐसे ग्लानि करने वाले को भी आप गुणमाला पहनाओ तो वह स्वत: ही आपको गुणमाला रिटर्न करेंगे क्योंकि ग्लानि करने वाले को गुणमाला पहनाना अर्थात् जन्म-जन्म के लिए भक्त निश्चित कर देना है । यह देना ही अनेक बार का लेना हो जाता है । यही विशेषता इष्ट देव, महान आत्मा बना देती है ।
स्लोगन:-
अपनी मन्सा वृत्ति सदा अच्छी पॉवरफुल बनाओ तो खराब भी अच्छा हो जायेगा ।
अव्यक्त स्थिति का अनुभव करने के लिए विशेष होमवर्क
कोई भी कर्म करते सदैव यही स्मृति रहे कि हर कर्म में बापदादा मेरे साथ भी है और हमारे इस अलौकिक जीवन का हाथ उनके हाथ में हैं अर्थात् जीवन उनके हवाले है । फिर जिम्मेवारी उनकी हो जाती है । सभी बोझ बाप के ऊपर रख अपने को हल्का कर दो तो कर्मयोगी फरिश्ता बन जायेंगे ।
ओम् शांति |