Thursday, January 22, 2015

मुरली 22 जनवरी 2015

सार:-  “मीठे बच्चे - तुम्हारी नज़र शरीरों पर नहीं जानी चाहिएअपने को आत्मा समझोशरीरों को मत देखो 
प्रश्न:-    हर एक ब्राह्मण बच्चे को विशेष किन दो बातों पर ध्यान देना है? 
उत्तर:- 1 - पढ़ाई पर2 - दैवी गुणों पर । कई बच्चों में क्रोध का अंश भी नहीं हैकोई तो क्रोध में आकर बहुत लड़ते हैं । बच्चों को ख्याल करना चाहिए कि हमको दैवीगुण धारण करके देवता बनना है । कभी गुस्से में आकर बातचीत नहीं करनी चाहिए । बाबा कहते किसी बच्चे में क्रोध है तो वह भूतनाथ- भूतनाथिनी है । ऐसे भूत वालों से तुम्हें बात भी नहीं करनी है ।  
गीत:- तकदीर जगाकर आई हूँ.. 
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1ज्ञान का सिमरण कर अतीन्द्रिय सुख में रहना है । किसी से भी रफढफ बातचीत नहीं करनी है । कोई गुस्से से बात करे तो उससे किनारा कर लेना है ।
2. भगवान का वारिस बनने के लिए पहले उन्हें अपना वारिस बनाना है । समझदार बन अपना सब बाप हवाले कर ममत्व मिटा देना है । अपने ऊपर आपेही रहम करना है ।
वरदान:- सत्यतास्वच्छता और निर्भयता के आधार से प्रत्यक्षता करने वाले रमता योगी भव ! 
परमात्म प्रत्यक्षता का आधार सत्यता है । और सत्यता का आधार स्वच्छता वा निर्भयता है । यदि किसी भी प्रकार की अस्वच्छता अर्थात् सच्चाई सफाई की कमी हैया अपने ही तमोगुणी संस्कारों पर विजयी बनने मेंसंस्कार मिलाने में या विश्व सेवा के क्षेत्र में अपने सिद्धान्तों को सिद्ध करने में भय है तो प्रत्यक्षता नहीं हो सकती । इसलिए सत्यता और निर्भयता को धारण कर एक ही धुन में मस्त रहने वाले रमता योगीसहज राजयोगी बनो तो सहज ही अन्तिम प्रत्यक्षता होगी ।
स्लोगन:-  बेहद की दृष्टिवृत्ति ही युनिटी का आधार है इसलिए हद में नहीं आओ ।