Monday, January 19, 2015

मुरली 20 जनवरी 2015

प्रातः मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन “मीठे बच्चे - तुम अशरीरी बन जब बाप को याद करते हो तो तुम्हारे लिए यह दुनिया ही खत्म हो जाती है, देह और दुनिया भूली हुई है” प्रश्न:- बाप द्वारा सभी बच्चों को ज्ञान का तीसरा नेत्र क्यों मिला है? उत्तर:- अपने को आत्मा समझ, बाप जो है जैसा है, उसी रूप में याद करने के लिए तीसरा नेत्र मिला है । परन्तु यह तीसरा नेत्र काम तब करता है जब पूरा योगयुक्त रहें अर्थात् एक बाप से सच्ची प्रीत हो । किसी के नाम-रूप में लटके हुए न हो । माया प्रीत रखने में ही विघ्न डालती है । इसी में बच्चे धोखा खाते हैं । गीत:- मरना तेरी गली में.. ओम् शान्ति | अच्छा! मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग । रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते । धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. इस छी-छी देह से पूरा नष्टोमोहा बन ज्ञान के अतीन्द्रिय सुख में रहना है । बुद्धि में रहे अब यह दुनिया बदल रही है हम जाते हैं अपने सुखधाम । 2. ट्रस्टी बनकर सब कुछ सम्भालते हुए अपना ममत्व मिटा देना है । एक बाप से सच्ची प्रीत रखनी है । कर्मेन्द्रियों से कभी भी कोई विकर्म नहीं करना है । वरदान:- डबल लाइट बन सर्व समस्याओं को हाई जम्प दे पार करने वाले तीव्र पुरुषार्थी भव ! सदा स्वयं को अमूल्य रत्न समझ बापदादा के दिल की डिब्बी में रहो अर्थात् सदा बाप की याद में समाये रहो तो किसी भी बात में मुश्किल का अनुभव नहीं करेंगे, सब बोझ समाप्त हो जायेंगे । इसी सहजयोग से डबल लाइट बन, पुरूषार्थ में हाई जम्प देकर तीव्र पुरूषार्थी बन जायेंगे । जब भी कोई मुश्किल का अनुभव हो तो बाप के सामने बैठ जाओ और बापदादा के वरदानों का हाथ स्वयं पर अनुभव करो इससे सेकण्ड में सर्व समस्याओं का हल मिल जायेगा । स्लोगन:- सहयोग की शक्ति असम्भव बात को भी सम्भव बना देती है । यही सेफ्टी का किला है ।