Sunday, January 18, 2015

मुरली 18 जनवरी 2015

18-01-15 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ``बापदादा'' मधुबन 

``मीठे बच्चे - तुम्हारी चलन बहुत रॉयल होनी चाहिए, तुम देवता बन रहे हो तो लक्ष्य और 
लक्षण, कथनी और करनी समान बनाओ'' 

गीत:- तुम्हें पाके हमने जहान पा लिया है.... 

वरदान:- एक के साथ सर्व रिश्ता निभाने वाले सर्व किनारों से मुक्त सम्पूर्ण फरिश्ता भव 

जैसे कोई चीज़ बनाते हैं जब वह बनकर तैयार हो जाती है तो किनारा छोड़ देती है, ऐसे जितना 
सम्पन्न स्टेज के समीप आते जायेंगे उतना सर्व से किनारा होता जायेगा। जब सब बन्धनों 
से वृत्ति द्वारा किनारा हो जाए अर्थात् किसी में भी लगाव न हो तब सम्पूर्ण फरिश्ता बनेंगे। 
एक के साथ सर्व रिश्ते निभाना-यही ठिकाना है, इससे ही अन्तिम फरिश्ते जीवन की 
मंजिल समीप अनुभव होगी। बुद्धि का भटकना बन्द हो जायेगा। 

स्लोगन:- स्नेह ऐसा चुम्बक है जो ग्लानि करने वाले को भी समीप ले आता है। 
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अव्यक्त स्थिति का अनुभव करने के लिए विशेष होमवर्क 

(18) जैसे ब्रह्मा बाप ने निश्चय के आधार पर, रूहानी नशे के आधार पर, निश्चित 
भावी के ज्ञाता बन सेकेण्ड में सब सफल कर दिया। अपने लिए कुछ नहीं रखा। 
तो स्नेह की निशानी है सब कुछ सफल करो। सफल करने का अर्थ है श्रेष्ठ तरफ लगाना।