Wednesday, January 14, 2015

मुरली 15 जनवरी 2015

मुरली 15 जनवरी 2015 मीठे बच्चे - तुम अपने को संगमयुगी ब्राह्मण समझो तो सतयुगी झाड़ देखने में आयेंगे और अपार खुशी में रहेंगे”    प्रश्न:-    जो ज्ञान के शौकीन बच्चे हैं, उनकी निशानी क्या होगी? उत्तर:- वे आपस में ज्ञान की ही बातें करेंगे । कभी परचिंतन नहीं करेंगे । एकान्त में जाकर विचार सागर मंथन करेंगे । प्रश्न:-    इस सृष्टि ड्रामा का कौन सा राज तुम बच्चे ही समझते हो? उत्तर:- इस सृष्टि में कोई भी चीज सदा कायम नहीं है, सिवाए एक शिवबाबा के । पुरानी दुनिया की आत्माओं को नई दुनिया में ले जाने के लिए कोई तो चाहिए, यह भी ड्रामा का राज तुम बच्चे ही समझते हो । धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. एकान्त में ज्ञान का मनन- चिन्तन करना है । याद की यात्रा में रह, माया पर जीत पाकर कर्मातीत अवस्था को पाना है ।  2. किसी को भी ज्ञान सुनाते समय बुद्धि में रहे कि हम आत्मा भाई को ज्ञान देते हैं । नाम, रूप, देह सब भूल जाये । पावन बनने की प्रतिज्ञा कर, पावन बन पावन दुनिया का मालिक बनना है । वरदान:- सदा बाप के अविनाशी और निस्वार्थ प्रेम में लवलीन रहने वाले मायाप्रूफ भव !    जो बच्चे सदा बाप के प्यार में लवलीन रहते हैं उन्हें माया आकर्षित नहीं कर सकती । जैसे वाटरप्रूफ कपड़ा होता है तो पानी की एक बूंद भी नहीं टिकती । ऐसे जो लगन में लवलीन रहते हैं वह मायाप्रूफ बन जाते हैं । माया का कोई भी वार, वार नहीं कर सकता क्योंकि बाप का प्यार अविनाशी और  नि:स्वार्थ है, इसके जो अनुभवी बन गये वह अल्पकाल के प्यार में फँस नहीं सकते । एक बाप दूसरा मैं, उसके बीच में तीसरा कोई आ ही नहीं सकता । स्लोगन:-  न्यारे-प्यारे होकर कर्म करने वाला ही सेकण्ड में फुलस्टॉप लगा सकता है ।    अव्यक्त स्थिति का अनुभव करने के लिए विशेष होमवर्क अव्यक्त रिथति का अनुभव करने के लिए सदा याद रहे कि “समस्याओं को दूर भगाना है सम्पूर्णता को समीप लाना है” । इसके लिए किसी भी ईश्वरीय मर्यादा में बेपरवाह नहीं बनना, आसुरी मर्यादा वा माया से बेपरवाह बनना । समस्या का सामना करना तो समस्या समाप्त हो जायेगी। ओम् शांति |