09-11-14 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ``अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज: 02.01.79 मधुबन
सम्पूर्णता की समीपता ही विश्व-परिवर्तन के घड़ी की समीपता है
वरदान:- मन-बुद्धि की एकाग्रता द्वारा सर्व सिद्धियां प्राप्त करने वाले सदा समर्थ आत्मा भव
सर्व सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए एकाग्रता की शक्ति को बढ़ाओ। यह एकाग्रता की शक्ति
स्लोगन:- कमल पुष्प के समान न्यारे रहो तो प्रभू के प्यार का पात्र बन जायेंगे।
सम्पूर्णता की समीपता ही विश्व-परिवर्तन के घड़ी की समीपता है
वरदान:- मन-बुद्धि की एकाग्रता द्वारा सर्व सिद्धियां प्राप्त करने वाले सदा समर्थ आत्मा भव
सर्व सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए एकाग्रता की शक्ति को बढ़ाओ। यह एकाग्रता की शक्ति
सहज निर्विघ्न बना देती है, मेहनत करने की आवश्यकता नहीं रहती। एक बाप दूसरा न कोई
- इसका सहज अनुभव होता है, सहज एकरस स्थिति बन जाती है। सर्व के प्रति कल्याण की
वृत्ति, भाई-भाई की दृष्टि रहती है। लेकिन एकाग्र होने के लिए इतना समर्थ बनो जो मन-बुद्धि
सदा आपके आर्डर अनुसार चले। स्वप्न में भी सेकण्ड मात्र भी हलचल न हो।
स्लोगन:- कमल पुष्प के समान न्यारे रहो तो प्रभू के प्यार का पात्र बन जायेंगे।