Wednesday, November 19, 2014
Murli-20/11/2014-Hindi
20-11-14 प्रातः मुरली ओम् शान्ति “बापदादा” मधुबन
“मीठे बच्चे - इस समय निराकार बाप साकार में आकर तुम्हारा श्रृंगार करते हैं, अकेला नहीं”
प्रश्न:-
तुम बच्चे याद की यात्रा में क्यों बैठते हो?
उत्तर:-
1. क्योंकि तुम जानते हो इस याद से ही हमें बहुत बड़ी आयु मिलती है, हम निरोगी बनते हैं । 2.याद करने से हमारे पाप कटते हैं । हम सच्चा सोना बन जाते हैं । आत्मा से रजो-तमो की खाद निकल जाती है, वह कंचन बन जाती है । 3. याद से ही तुम पावन दुनिया के मालिक बन जायेंगे । 4.तुम्हारा श्रृंगार होगा । 5. तुम बहुत धनवान बन जायेंगे । यह याद ही तुम्हें पद्मापद्म भाग्यशाली बनाती है ।
ओम् शान्ति |
अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग । रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते ।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1. स्वयं को संगमयुग निवासी समझकर चलना है । पुराने सम्बन्धों को देखते हुए भी नहीं देखना है । बुद्धि में रहे हम अकेले आये थे, अकेले जाना है ।
2. आत्मा और शरीर दोनों को कंचन (पवित्र) बनाने के लिए ज्ञान के तीसरे नेत्र से देखने का अभ्यास करना है । क्रिमिनल दृष्टि खत्म करनी है । ज्ञान और योग से अपना श्रृंगार करना है ।
वरदान:-
पवित्रता के फाउंडेशन द्वारा सदा श्रेष्ठ कर्म करने वाली पूज्य आत्मा भव !
पवित्रता पूज्य बनाती है । पूज्य वही बनते हैं जो सदा श्रेष्ठ कर्म करते हैं । लेकिन पवित्रता सिर्फ ब्रह्मचर्य नहीं । मन्सा संकल्प में भी किसी के प्रति निगेटिव सकल्प उत्पन्न न हो । बोल भी अयथार्थ न हो । सम्बन्ध- सम्पर्क में भी फर्क न हो, सबके साथ अच्छा एक जैसा सम्बन्ध हो । मन्सा-वाचा-कर्मणा किसी में भी पवित्रता खण्डित न हो तब कहेंगे पूज्य आत्मा । मैं परम पूज्य आत्मा हूँ - इस स्मृति से पवित्रता का फाउन्डेशन मजबूत बनाओ ।
स्लोगन:-
सदा इसी अलौकिक नशे में रहो “वाह रे मैं” तो मन और तन से नेचुरल खुशी की डांस करते रहेंगे ।
ओम् शान्ति |
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