Monday, November 17, 2014

Murli-17/11/2014-Hindi

सार:-   “मीठे बच्चे - तुम्हें एक बाप से ही सुनना है और सुन करके दूसरों को सुनाना है”   प्रश्न:-    बाप ने तुम बच्चों को कौन-सी समझ दी है, जो दूसरों को सुनानी है? उत्तर:- बाबा ने तुम्हें समझ दी कि तुम आत्मायें सब भाई- भाई हो । तुम्हें एक बाप की याद में रहना है । यही बात तुम सभी को सुनाओ क्योंकि तुम्हें सारे विश्व के भाईयों का कल्याण करना है । तुम ही इस सेवा के निमित्त हो । धारणा के लिए मुख्य सार:- 1. यहाँ ही सब हिसाब-किताब चुक्तू कर आधाकल्प के लिए सुख जमा करना है । इस पुरानी दुनिया से अब दिल नहीं लगानी है । इन आँखों से जो कुछ दिखाई देता है, उसे भूल जाना है । 2. माया बड़ी जबरदस्त है, उससे खबरदार रहना है । पढ़ाई में गैलप कर आगे जाना है । एक बाप से ही सुनना और उनसे ही सुना हुआ दूसरों को सुनाना है । वरदान:- हर कर्म में विजय का अटल निश्चय और नशा रखने वाले अधिकारी आत्मा भव ! विजय हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है - इस स्मृति से सदा उड़ते चलो । कुछ भी हो जाए - ये स्मृति में लाओ कि मैं सदा विजयी हूँ । क्या भी हो जाए - यह निश्चय अटल हो । नशे का आधार है ही निश्चय । निश्चय कम तो नशा कम इसलिए कहते हैं निश्चयबुद्धि विजयी । निश्चय में कभी-कभी वाले नहीं बनना । अविनाशी बाप है तो अविनाशी प्राप्ति के अधिकारी बनो । हर कर्म में विजय का निश्चय और नशा हो । स्लोगन:-  बाप के स्नेह की छत्रछाया के नीचे रहो तो कोई भी विघ्न ठहर नहीं सकता । OM SUKH SHANTI ___________________________