मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - तुम बाप के पास आये हो अपने कैरेक्टर्स सुधारने,
प्रश्न:- तुम बच्चों को ऑखें बन्द करके बैठने की मना क्यों की जाती है?
उत्तर:- क्योंकि नज़र से निहाल करने वाला बाप तुम्हारे सम्मुख है। अगर ऑखें
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) जो संस्कार बाप में हैं, वही संस्कार धारण करने हैं। बाप समान ज्ञान का सागर
2) आत्मा रूपी बैटरी को सतोप्रधान बनाने के लिए चलते-फिरते याद की यात्रा में
वरदान:- धारणा स्वरूप द्वारा सेवा करके खुशी का प्रत्यक्षफल प्राप्त करने वाले सच्चे
स्लोगन:- सच्चे दिल से दाता, विधाता, वरदाता को राज़ी कर लो तो रूहानी मौज में रहेंगे।
तुम्हें अभी दैवी कैरेक्टर्स बनाने हैं''
प्रश्न:- तुम बच्चों को ऑखें बन्द करके बैठने की मना क्यों की जाती है?
उत्तर:- क्योंकि नज़र से निहाल करने वाला बाप तुम्हारे सम्मुख है। अगर ऑखें
बन्द होंगी तो निहाल कैसे होंगे। स्कूल में ऑखें बन्द करके नहीं बैठते हैं। ऑखें
बन्द होंगी तो सुस्ती आयेगी। तुम बच्चे तो स्कूल में पढ़ाई पढ़ रहे हो, यह सोर्स
ऑफ इनकम है। लाखों पद्मों की कमाई हो रही है, कमाई में सुस्ती, उदासी नहीं
आ सकती।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) जो संस्कार बाप में हैं, वही संस्कार धारण करने हैं। बाप समान ज्ञान का सागर
बनना है। देही-अभिमानी होकर रहने का अभ्यास करना है।
2) आत्मा रूपी बैटरी को सतोप्रधान बनाने के लिए चलते-फिरते याद की यात्रा में
रहना है। दैवी कैरेक्टर्स धारण करने हैं। बहुत-बहुत मीठा बनना है।
वरदान:- धारणा स्वरूप द्वारा सेवा करके खुशी का प्रत्यक्षफल प्राप्त करने वाले सच्चे
सेवाधारी भव
सेवा का उमंग रखना बहुत अच्छा है लेकिन यदि सरकमस्टांस अनुसार सेवा का चांस
आपको नहीं मिलता है तो अपनी अवस्था गिरावट वा हलचल में न आये। अगर ज्ञान
सुनाने का चांस नहीं मिलता है लेकिन आप अपनी धारणा स्वरूप का प्रभाव डालते हो
तो सेवा की मार्क्स जमा हो जाती हैं। धारणा स्वरूप बच्चे ही सच्चे सेवाधारी हैं। उन्हें
सर्व की दुआयें और सेवा के रिटर्न में प्रत्यक्षफल खुशी की अनुभूति होती है।
स्लोगन:- सच्चे दिल से दाता, विधाता, वरदाता को राज़ी कर लो तो रूहानी मौज में रहेंगे।