Wednesday, July 9, 2014

Murli-[9-7-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - दु:ख हर्ता सुख कर्ता एक बाप है, वही तुम्हारे सब दु:ख दूर करते हैं, 
मनुष्य किसी के दु:ख दूर कर नहीं सकते'' 

प्रश्न:- विश्व में अशान्ति का कारण क्या है? शान्ति स्थापन कैसे होगी? 
उत्तर:- विश्व में अशान्ति का कारण है अनेकानेक धर्म। कलियुग के अन्त में जब अनेकता है, 
तब अशान्ति है। बाप आकर एक सत धर्म की स्थापना करते हैं। वहाँ शान्ति हो जाती है। 
तुम समझ सकते हो कि इन लक्ष्मी-नारायण के राज्य में शान्ति थी। पवित्र धर्म, पवित्र 
कर्म था। कल्याणकारी बाप फिर से वह नई दुनिया बना रहे हैं। उसमें अशान्ति का नाम 
नहीं। 

धारणा के लिये मुख्य सार:- 

1) राजयोग की पढ़ाई सोर्स ऑफ इनकम है क्योंकि इससे ही हम राजाओं का राजा बनते हैं। 
यह रूहानी पढ़ाई रोज़ पढ़नी और पढ़ानी है। 

2) सदा नशा रहे कि हम ब्राह्मण सच्चे मुख वंशावली हैं, हम कलियुगी रात से निकल दिन 
में आये हैं, यह है कल्याणकारी पुरूषोत्तम युग, इसमें अपना और सर्व का कल्याण करना है। 

वरदान:- सर्व पदार्थो की आसक्तियों से न्यारे अनासक्त, प्रकृतिजीत भव 

अगर कोई भी पदार्थ कर्मेन्द्रियों को विचलित करता है अर्थात् आसक्ति का भाव उत्पन्न होता 
है तो भी न्यारे नहीं बन सकेंगे। इच्छायें ही आसक्तियों का रूप हैं। कई कहते हैं इच्छा नहीं है 
लेकिन अच्छा लगता है। तो यह भी सूक्ष्म आसक्ति है - इसकी महीन रूप से चेकिंग करो कि 
यह पदार्थ अर्थात् अल्पकाल सुख के साधन आकर्षित तो नहीं करते हैं? यह पदार्थ प्रकृति के 
साधन हैं, जब इनसे अनासक्त अर्थात् न्यारे बनेंगे तब प्रकृतिजीत बनेंगे। 

स्लोगन:- मेरे-मेरे के झमेलों को छोड़ बेहद में रहो तब कहेंगे विश्व कल्याणकारी।