Thursday, July 31, 2014

Murli-[31-7-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - रक्षाबन्धन का पर्व प्रतिज्ञा का पर्व है, जो संगमयुग से ही शुरू होता है, 
अभी तुम पवित्र बनने और बनाने की प्रतिज्ञा करते हो'' 

प्रश्न:- तुम्हारे सब कार्य किस आधार पर सफल हो सकते हैं? नाम बाला कैसे होगा? 
उत्तर:- ज्ञान बल के साथ योग का भी बल हो तो सब कार्य आपेही करने के लिए तैयार हो जायें। 
योग बहुत गुप्त है इससे तुम विश्व का मालिक बनते हो। योग में रहकर समझाओ तो अखबार 
वाले आपेही तुम्हारा सन्देश छापेंगे। अखबारों से ही नाम बाला होना है, इनसे ही बहुतों को सन्देश 
मिलेगा। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) पास विद् ऑनर होने के लिए बाप समान ज्ञान सागर बनना है। कोई भी अवगुण अन्दर है तो 
उसकी जांच कर निकाल देना है। शरीर को देखते हुए न देख, आत्मा निश्चय कर आत्मा से बात करनी है। 

2) योगबल इतना जमा करना है जो अपना हर काम सहज हो जाए। अखबारों द्वारा हरेक को पावन 
बनने का सन्देश देना है। आप समान बनाने की सेवा करनी है। 

वरदान:- प्वाइंट स्वरूप में स्थित हो मन बुद्धि को निगेटिव के प्रभाव से सेफ रखने वाले विशेष आत्मा भव 

जैसे कोई सीजन होती है तो सीजन से बचने के लिए उसी प्रमाण अटेन्शन रखा जाता है। बारिश 
आयेगी तो छाते, रेनकोट आदि का अटेन्शन रखेंगे। सर्दी आयेगी तो गर्म कपड़े रखेंगे....ऐसे वर्तमान 
समय मन बुद्धि में निगेटिव भाव और भावना पैदा करने का विशेष कार्य माया कर रही है इसलिए 
विशेष सेफ्टी के साधन अपनाओ। इसका सहज साधन है - एक प्वाइंट स्वरूप में स्थित होना। 
आश्चर्य और क्वेश्चनमार्क के बजाए बिन्दू लगाना अर्थात् विशेष आत्मा बनना। 

स्लोगन:- आज्ञाकारी वह है जो हर संकल्प, बोल और कर्म में जी हज़ूर करता है।