Saturday, July 19, 2014

Murli-[19-7-2014]-Hindi

मुरली सार:- मीठे बच्चे - सच्चे बाप के साथ अन्दर बाहर सच्चा बनो, तब ही देवता बन सकेंगे। तुम ब्राह्मण ही फ़रिश्ता सो देवता बनते हो`` 
प्रश्न:- इस ज्ञान को सुनने वा धारण करने का अधिकारी कौन हो सकता है? 
उत्तर:- जिसने आलराउण्ड पार्ट बजाया है, जिसने सबसे जास्ती भक्ति की है, वही ज्ञान को धारण करने में बहुत तीखे जायेंगे। ऊंच पद भी वही पायेंगे। तुम बच्चों से कोई कोई पूछते हैं-तुम शास्त्रों को नहीं मानते हो? तो बोलो जितना हमने शास्त्र पढ़े हैं, भक्ति की है, उतना दुनिया में कोई नहीं करता। हमें अब भक्ति का फल मिला है, इसलिए अब भक्ति की दरकार नहीं।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) रचयिता और रचना के राज़ को यथार्थ समझ आस्तिक बनना है। ड्रामा के ज्ञान में मूँझना नहीं है। अपनी बुद्धि को हद से निकाल बेहद में ले जाना है।
2) सूक्ष्मवतनवासी फरिश्ता बनने के लिए सम्पूर्ण पवित्र बनना है। आत्मा में जो किचड़ा भरा है, उसे याद के बल से निकाल साफ करना है।
वरदान:- सर्वशक्तिमान बाप को कम्बाइन्ड रूप में साथ रखने वाले सफलता-मूर्त भव
जिन बच्चों के साथ सर्व शक्तिमान बाप कम्बाइन्ड है - उनका सर्वशक्तियों पर अधिकार है और जहाँ सर्व शक्तियां हैं वहाँ सफलता न हो, यह असम्भव है। यदि सदा बाप से कम्बाइन्ड रहने में कमी है तो सफलता भी कम होती है। सदा साथ निभाने वाले अविनाशी साथी को कम्बाइन्ड रखो तो सफलता जन्म सिद्ध अधिकार है क्योंकि सफलता मास्टर सर्वशक्तिमान के आगे-पीछे घूमती है।
स्लोगन:- सच्चे वैष्णव वह हैं जो विकारों रूपी गन्दगी को छूते भी नहीं।