Friday, July 18, 2014

Murli-[18-7-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - बाप समान अपकारियों पर भी उपकार करना सीखो, 
निंदक को भी अपना मित्र बनाओ'' 

प्रश्न:- बाप की कौन-सी दृष्टि पक्की है? तुम बच्चों को कौन-सी पक्की करनी है? 
उत्तर:- बाप की दृष्टि पक्की है कि जो भी आत्मायें हैं सब मेरे बच्चे हैं इसलिए 
बच्चे-बच्चे कहते रहते हैं। तुम कभी भी किसी को बच्चे-बच्चे नहीं कह सकते हो। 
तुम्हें यह दृष्टि पक्की करनी है कि यह आत्मा हमारा भाई है। भाई को देखो, 
भाई से बात करो, इससे रूहानी प्यार रहेगा। क्रिमिनल ख्यालात खत्म हो जायेंगे। 
निंदा करने वाला भी मित्र बन जायेगा। 

धारणा के लिए मुख्य सार :- 

1) इस गुह्य वा अटपटे ज्ञान को समझने के लिए बुद्धि को याद की यात्रा से सोने का 
बर्तन बनाना है। याद की रेस करनी है। 

2) बाप के डायरेक्शन पर चलकर, पढ़ाई को ध्यान से पढ़कर अपने ऊपर आपेही कृपा 
वा आशीर्वाद करनी है, अपने को राजतिलक देना है। निंदक को अपना मित्र समझ 
उनकी भी सद्गति करनी है। 

वरदान:- सब कुछ बाप हवाले कर कमल पुष्प समान न्यारे प्यारे रहने वाले डबल लाइट भव
 
बाप का बनना अर्थात् सब बोझ बाप को दे देना। डबल लाइट का अर्थ ही है सब कुछ बाप 
हवाले करना। यह तन भी मेरा नहीं। तो जब तन ही नहीं तो बाकी क्या। आप सबका 
वायदा ही है तन भी तेरा, मन भी तेरा, धन भी तेरा-जब सब कुछ तेरा कहा तो बोझ 
किस बात का इसलिए कमल पुष्प का दृष्टान्त स्मृति में रख सदा न्यारे और प्यारे रहो 
तो डबल लाइट बन जायेंगे। 

स्लोगन:- रूहानियत से रोब को समाप्त कर, स्वयं को शरीर की स्मृति से गलाने वाले ही सच्चे पाण्डव हैं। 
मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - बाप समान अपकारियों पर भी उपकार करना सीखो, 
निंदक को भी अपना मित्र बनाओ'' 

प्रश्न:- बाप की कौन-सी दृष्टि पक्की है? तुम बच्चों को कौन-सी पक्की करनी है? 
उत्तर:- बाप की दृष्टि पक्की है कि जो भी आत्मायें हैं सब मेरे बच्चे हैं इसलिए 
बच्चे-बच्चे कहते रहते हैं। तुम कभी भी किसी को बच्चे-बच्चे नहीं कह सकते हो। 
तुम्हें यह दृष्टि पक्की करनी है कि यह आत्मा हमारा भाई है। भाई को देखो, 
भाई से बात करो, इससे रूहानी प्यार रहेगा। क्रिमिनल ख्यालात खत्म हो जायेंगे। 
निंदा करने वाला भी मित्र बन जायेगा। 

धारणा के लिए मुख्य सार :- 

1) इस गुह्य वा अटपटे ज्ञान को समझने के लिए बुद्धि को याद की यात्रा से सोने का 
बर्तन बनाना है। याद की रेस करनी है। 

2) बाप के डायरेक्शन पर चलकर, पढ़ाई को ध्यान से पढ़कर अपने ऊपर आपेही कृपा 
वा आशीर्वाद करनी है, अपने को राजतिलक देना है। निंदक को अपना मित्र समझ 
उनकी भी सद्गति करनी है। 

वरदान:- सब कुछ बाप हवाले कर कमल पुष्प समान न्यारे प्यारे रहने वाले डबल लाइट भव
 
बाप का बनना अर्थात् सब बोझ बाप को दे देना। डबल लाइट का अर्थ ही है सब कुछ बाप 
हवाले करना। यह तन भी मेरा नहीं। तो जब तन ही नहीं तो बाकी क्या। आप सबका 
वायदा ही है तन भी तेरा, मन भी तेरा, धन भी तेरा-जब सब कुछ तेरा कहा तो बोझ 
किस बात का इसलिए कमल पुष्प का दृष्टान्त स्मृति में रख सदा न्यारे और प्यारे रहो 
तो डबल लाइट बन जायेंगे। 

स्लोगन:- रूहानियत से रोब को समाप्त कर, स्वयं को शरीर की स्मृति से गलाने वाले ही सच्चे पाण्डव हैं।