Thursday, July 17, 2014

Murli-[17-7-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - बाप की याद से बुद्धि स्वच्छ बनती है, दिव्यगुण आते हैं इसलिए 
एकान्त में बैठ अपने आपसे पूछो कि दैवीगुण कितने आये हैं?'' 

प्रश्न:- सबसे बड़ा आसुरी अवगुण कौन-सा है, जो बच्चों में नहीं होना चाहिए? 
उत्तर:- सबसे बड़ा आसुरी अवगुण है किसी से रफ-डफ बात करना या कटुवचन बोलना, इसे 
ही भूत कहा जाता है। जब कोई में यह भूत प्रवेश करते हैं तो बहुत नुकसान कर देते हैं इसलिए 
उनसे किनारा कर लेना चाहिए। जितना हो सके अभ्यास करो-अब घर जाना है फिर नई 
राजधानी में आना है। इस दुनिया में सब कुछ देखते हुए कुछ भी दिखाई न दे। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) चलते-फिरते एक बाप की ही याद रहे और कुछ देखते हुए भी दिखाई न दे-ऐसा अभ्यास 
करना है। एकान्त में अपनी जाँच करनी है कि हमारे में दैवीगुण कहाँ तक आये हैं? 

2) ऐसा कोई कर्त्तव्य नहीं करना है, जिससे बाप की निन्दा हो, दैवीगुण धारण करने हैं। बुद्धि में 
रहे-अभी घर जाना है फिर अपनी राजधानी में आना है। 

वरदान:- अधिकारी बन समस्याओं को खेल-खेल में पार करने वाले हीरो पार्टधारी भव 

चाहे कैसी भी परिस्थितियां हों, समस्यायें हों लेकिन समस्याओं के अधीन नहीं, अधिकारी बन 
समस्याओं को ऐसे पार कर लो जैसे खेल-खेल में पार कर रहे हैं। चाहे बाहर से रोने का भी पार्ट 
हो लेकिन अन्दर हो कि यह सब खेल है - जिसको कहते हैं ड्रामा और ड्रामा के हम हीरो पार्टधारी 
हैं। हीरो पार्टधारी अर्थात् एक्यूरेट पार्ट बजाने वाले इसलिए कड़ी समस्या को भी खेल समझ 
हल्का बना दो, कोई भी बोझ न हो। 

स्लोगन:- सदा ज्ञान के सिमरण में रहो तो सदा हर्षित रहेंगे, माया की आकर्षण से बच जायेंगे।