मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - बहन-भाई के भी भान से निकल भाई-भाई समझो तो सिविल
प्रश्न:- अपनी खामियों को निकालने के लिए कौन-सी युक्ति रचनी चाहिए?
उत्तर:- अपने कैरेक्टर्स का रजिस्टर रखो। उसमें रोज़ का पोतामेल नोट करो। रजिस्टर
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) ऐसा योगी बनना है जो शरीर में ज़रा भी ममत्व न रहे। कोई भी छी-छी चीज़ में आसक्ति
2) काल सिर पर खड़ा है इसलिए शुभ कार्य में देरी नहीं करनी है। कल पर नहीं छोड़ना है।
वरदान:- स्वयं को निमित्त समझ व्यर्थ संकल्प वा व्यर्थ वृत्ति से मुक्त रहने वाले विश्व कल्याणकारी भव
मैं विश्व कल्याण के कार्य अर्थ निमित्त हूँ - इस जिम्मवारी की स्मृति में रहो तो कभी भी
स्लोगन:- अज्ञान की शक्ति क्रोध है और ज्ञान की शक्ति शान्ति है।
आई बन जायेगी, आत्मा जब सिविल-आइज्ड बनें तब कर्मातीत बन सकती है''
प्रश्न:- अपनी खामियों को निकालने के लिए कौन-सी युक्ति रचनी चाहिए?
उत्तर:- अपने कैरेक्टर्स का रजिस्टर रखो। उसमें रोज़ का पोतामेल नोट करो। रजिस्टर
रखने से अपनी कमियों का मालूम पड़ेगा फिर सहज ही उन्हें निकाल सकेंगे। खामियों को
निकालते-निकालते उस अवस्था तक पहुँचना है जो एक बाप के सिवाए दूसरा कुछ भी
याद न रहे। किसी भी पुरानी चीज़ में ममत्व न रहे। अन्दर कुछ भी मांगने की तमन्ना न रहे।
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) ऐसा योगी बनना है जो शरीर में ज़रा भी ममत्व न रहे। कोई भी छी-छी चीज़ में आसक्ति
न जाये। अवस्था ऐसी उपराम रहे। खुशी का पारा चढ़ा हुआ हो।
2) काल सिर पर खड़ा है इसलिए शुभ कार्य में देरी नहीं करनी है। कल पर नहीं छोड़ना है।
वरदान:- स्वयं को निमित्त समझ व्यर्थ संकल्प वा व्यर्थ वृत्ति से मुक्त रहने वाले विश्व कल्याणकारी भव
मैं विश्व कल्याण के कार्य अर्थ निमित्त हूँ - इस जिम्मवारी की स्मृति में रहो तो कभी भी
किसी के प्रति वा अपने प्रति व्यर्थ संकल्प वा व्यर्थ वृत्ति नहीं हो सकती। जिम्मेवार आत्मायें
एक भी अकल्याणकारी संकल्प नहीं कर सकते। एक सेकण्ड भी व्यर्थ वृत्ति नहीं बना सकते
क्योंकि उनकी वृत्ति से वायुमण्डल का परिवर्तन होना है इसलिए सर्व के प्रति उनकी शुभ
भावना, शुभ कामना स्वत: रहती है।
स्लोगन:- अज्ञान की शक्ति क्रोध है और ज्ञान की शक्ति शान्ति है।