मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - कलंगीधर बनने के लिए अपनी अवस्था अचल-अडोल बनाओ,
प्रश्न:- बाप की आज्ञा क्या है? किस मुख्य आज्ञा पर चलने वाले बच्चे दिल तख्तनशीन बनते हैं?
उत्तर:- बाप की आज्ञा है - मीठे बच्चे, तुम्हें कोई से भी खिट-खिट नहीं करनी है। शान्ति में
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) जब कोई अशान्ति फैलाते हैं या तंग करते हैं तो तुम्हें शान्त रहना है। अगर समझानी
2) विचार सागर मंथन कर ज्ञान की नई-नई प्वाइंट्स निकाल सर्विस करनी है। बाप मुरली में
वरदान:- तीव्र पुरूषार्थ द्वारा सभी बंधनों को क्रास कर मनोरंजन का अनुभव करने वाले डबल लाइट भव
कई बच्चे कहते हैं वैसे तो मैं ठीक हूँ लेकिन यह कारण है ना - संस्कारों का, व्यक्तियों का,
स्लोगन:- हर गुण वा ज्ञान की बात को अपना निजी संस्कार बनाओ।
जितना तुम पर कलंक लगते हैं, उतना तुम कलंगीधर बनते हो''
प्रश्न:- बाप की आज्ञा क्या है? किस मुख्य आज्ञा पर चलने वाले बच्चे दिल तख्तनशीन बनते हैं?
उत्तर:- बाप की आज्ञा है - मीठे बच्चे, तुम्हें कोई से भी खिट-खिट नहीं करनी है। शान्ति में
रहना है। अगर कोई को तुम्हारी बात अच्छी नहीं लगती तो तुम चुप रहो। एक-दो को तंग
नहीं करो। बापदादा के दिलतख्तनशीन तब बन सकते जब अन्दर कोई भी भूत न रहे,
मुख से कभी कोई कडुवे बोल न निकलें, मीठा बोलना जीवन की धारणा हो जाए।
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) जब कोई अशान्ति फैलाते हैं या तंग करते हैं तो तुम्हें शान्त रहना है। अगर समझानी
मिलते हुए भी कोई अपना सुधार नहीं कर सकते तो कहेंगे इनकी तकदीर क्योंकि राजधानी
स्थापन हो रही है।
2) विचार सागर मंथन कर ज्ञान की नई-नई प्वाइंट्स निकाल सर्विस करनी है। बाप मुरली में
रोज़ जो गुह्य बातें सुनाते हैं, वह कभी मिस नहीं करनी है।
वरदान:- तीव्र पुरूषार्थ द्वारा सभी बंधनों को क्रास कर मनोरंजन का अनुभव करने वाले डबल लाइट भव
कई बच्चे कहते हैं वैसे तो मैं ठीक हूँ लेकिन यह कारण है ना - संस्कारों का, व्यक्तियों का,
वायुमण्डल का बंधन है.. परन्तु कारण कैसा भी हो, क्या भी हो तीव्र पुरूषार्थी सभी बातों को
ऐसे क्रॉस करते हैं जैसे कुछ है ही नहीं। वह सदा मनोरंजन का अनुभव करते हैं। ऐसी स्थिति
को कहा जाता है उड़ती कला और उड़ती कला की निशानी है डबल लाइट। उन्हें किसी भी
प्रकार का बोझ हलचल में ला नहीं सकता।
स्लोगन:- हर गुण वा ज्ञान की बात को अपना निजी संस्कार बनाओ।