Wednesday, April 9, 2014

Murli-[9-4-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - बाप जो शिक्षायें देते हैं, उन्हें अमल में लाओ, तुम्हें प्रतिज्ञा कर अपने 
वचन से फिरना नहीं है, आज्ञा का उल्लंघन नहीं करना है'' 

प्रश्न:- तुम्हारी पढ़ाई का सार क्या है? तुम्हें कौन-सा अभ्यास अवश्य करना है? 
उत्तर:- तुम्हारी पढ़ाई है वानप्रस्थ में जाने की। इस पढ़ाई का सार है वाणी से परे जाना। बाप ही 
सबको वापस ले जाते हैं। तुम बच्चों को घर जाने के पहले सतोप्रधान बनना है। इसके लिए एकान्त 
में जाकर देही-अभिमानी रहने का अभ्यास करो। अशरीरी बनने का अभ्यास ही आत्मा को सतोप्रधान 
बनायेगा। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) सतोप्रधान बनने के लिए याद की यात्रा से अपनी बैटरी चार्ज करनी है। अभुल बनना है। 
अपना रजिस्टर अच्छा रखना है। कोई भी गफ़लत नहीं करनी है। 

2) कोई भी बेकायदे कर्म नहीं करना है, माया के तूफ़ानों की परवाह न कर, कर्मेन्द्रिय जीत बनना है। 
लीवरघड़ी समान एक्यूरेट पुरूषार्थ करना है। 

वरदान:- परमात्म दुआओं से अपनी झोली भरपूर कर माया को दूर भगाने वाले विजयी रत्न भव 

संगमयुग के महत्व को जान हर सेकेण्ड परमात्म दुआयें जमा करते रहो। परमात्म दुआओं से 
झोली सदा भरपूर है तो माया दूर से ही भाग जायेगी। जैसे कितने भी खौफ़नाक जानवर होते हैं 
लेकिन आपके पास लाइट है तो वो आगे नहीं आते। ऐसे सर्वशक्तियों की लाइट आपके साथ है 
तो माया समीप नहीं आ सकती। तो माया से युद्ध करने वाले नहीं लेकिन बाप के साथ से, 
दुआओं से सदा मायाजीत बनने वाले विजयी रत्न बनो। 

स्लोगन:- अचानक के पेपर में पास होना है तो अलबेलेपन को छोड़ अलर्ट बनो।