Monday, April 28, 2014

Murli-[25-4-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - अब तुम्हारी सब तरफ से रगें टूट जानी चाहिए क्योंकि घर चलना है, 
कोई ऐसा विकर्म न हो, जो ब्राह्मण कुल का नाम बदनाम हो'' 

प्रश्न:- बाप किन बच्चों को देख-देख बहुत हर्षित होते हैं? कौन-से बच्चे बाप की आखों में समाये हुए हैं?
उत्तर:- जो बच्चे बहुतों को सुखदाई बनाते, सर्विसएबुल हैं, उन्हें देख-देख बाप भी हर्षित होते हैं। जिन 
बच्चों की बुद्धि में रहता कि एक बाबा से ही बोलूँ, बाबा से ही बात करूँ.... ऐसे बच्चे बाप की आंखों में 
समाये रहते हैं। बाबा कहते-मेरी सर्विस करने वाले बच्चे मुझे अति प्रिय हैं। ऐसे बच्चों को मैं याद करता हूँ। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) किसी के भी नाम रूप में फँसकर कुल कलंकित नहीं बनना है। माया के धोखे में आकर एक-दो 
को दु:ख नहीं देना है। बाप से समर्थी का वर्सा ले लेना है। 

2) सदा हर्षित रहने के संस्कार यहाँ से ही भरने है। अब पाप आत्माओं से कोई भी लेन-देन नहीं करनी है। 
बीमारियों आदि से डरना नही है, सब हिसाब-किताब अभी ही चुक्तू करने हैं। 

वरदान:- महसूसता शक्ति द्वारा पुराने स्वभाव, संस्कार से न्यारा बनने वाले मायाजीत भव 

इस पुरानी देह के स्वभाव और संस्कार बहुत कड़े हैं जो मायाजीत बनने में बड़ा विघ्न रूप बनते हैं। 
स्वभाव-संस्कार रूपी सांप खत्म भी हो जाता है लेकिन लकीर रह जाती है जो समय आने पर बार-बार 
धोखा दे देती है। कई बार माया के इतना वशीभूत हो जाते जो रांग को रांग भी नहीं समझते। परवश हो 
जाते हैं इसलिए चेक करो और महसूसता शक्ति द्वारा पुराने छिपे हुए स्वभाव संस्कार से न्यारे बनो तब 
मायाजीत बनेंगे। 

स्लोगन:- विदेहीपन का अभ्यास करो - यही अभ्यास अचानक के पेपर में पास करायेगा।