मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - इन आंखों से जो कुछ देखते हो - यह सब ख़त्म हो जाना है, इसलिए
प्रश्न:- तुम बच्चों की साइलेन्स में कौन-सा रहस्य समाया हुआ है?
उत्तर:- जब तुम साइलेन्स में बैठते हो तो शान्तिधाम को याद करते हो। तुम जानते हो साइलेन्स
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सदा स्मृति रहे कि हम ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण हैं, हमारा सबसे ऊंच कुल है। हमें पवित्र बनना
2) याद में कभी गफ़लत नहीं करना है। देह-अभिमान के कारण ही माया याद में विघ्न डालती है
वरदान:- सहज योग की साधना द्वारा साधनों पर विजय प्राप्त करने वाले प्रयोगी आत्मा भव
साधनों के होते, साधनों को प्रयोग में लाते योग की स्थिति डगमग न हो। योगी बन प्रयोग करना इसको
स्लोगन:- मेरे पन के अनेक रिश्तों को समाप्त करना ही फरिश्ता बनना है।
इससे बेहद का वैराग्य, बाप तुम्हारे लिए नई दुनिया बना रहे हैं''
प्रश्न:- तुम बच्चों की साइलेन्स में कौन-सा रहस्य समाया हुआ है?
उत्तर:- जब तुम साइलेन्स में बैठते हो तो शान्तिधाम को याद करते हो। तुम जानते हो साइलेन्स
माना जीते जी मरना। यहाँ बाप तुम्हें सद्गुरू के रूप में साइलेन्स रहना सिखलाते हैं। तुम साइलेन्स
में रह अपने विकर्मों को दग्ध करते हो। तुम्हें ज्ञान है कि अब घर जाना है। दूसरे सतसंगों में शान्ति
में बैठते हैं लेकिन उन्हें शान्तिधाम का ज्ञान नहीं है।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सदा स्मृति रहे कि हम ब्रह्मा मुख वंशावली ब्राह्मण हैं, हमारा सबसे ऊंच कुल है। हमें पवित्र बनना
और बनाना है। पतित-पावन बाप का मददगार बनना है।
2) याद में कभी गफ़लत नहीं करना है। देह-अभिमान के कारण ही माया याद में विघ्न डालती है
इसलिए पहले देह-अभिमान को छोड़ना है। योग अग्नि द्वारा पाप नाश करने हैं।
वरदान:- सहज योग की साधना द्वारा साधनों पर विजय प्राप्त करने वाले प्रयोगी आत्मा भव
साधनों के होते, साधनों को प्रयोग में लाते योग की स्थिति डगमग न हो। योगी बन प्रयोग करना इसको
कहते हैं न्यारा। होते हुए निमित्त मात्र, अनासक्त रूप से प्रयोग करो। अगर इच्छा होगी तो वह इच्छा
अच्छा बनने नहीं देगी। मेहनत करने में ही समय बीत जायेगा। उस समय आप साधना में रहने का
प्रयत्न करेंगे और साधन अपनी तरफ आकर्षित करेंगे इसलिए प्रयोगी आत्मा बन सहजयोग की साधना
द्वारा साधनों के ऊपर अर्थात् प्रकृति पर विजयी बनो।
स्लोगन:- मेरे पन के अनेक रिश्तों को समाप्त करना ही फरिश्ता बनना है।