Saturday, April 12, 2014

Murli-[12-4-2014]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - शरीर निर्वाह अर्थ कर्म करते हुए बेहद की उन्नति करो, जितना 
अच्छी रीति बेहद की पढ़ाई पढ़ेंगे, उतनी उन्नति होगी'' 

प्रश्न:- तुम बच्चे जो बेहद की पढ़ाई पढ़ रहे हो, इसमें सबसे ऊंच डिफीकल्ट सब्जेक्ट कौन-सी है? 
उत्तर:- इस पढ़ाई में सबसे ऊंची सब्जेक्ट है भाई-भाई की दृष्टि पक्की करना। बाप ने ज्ञान का 
जो तीसरा नेत्र दिया है उस नेत्र से आत्मा भाई-भाई को देखो। जरा भी आंखे धोखा न दें। किसी 
भी देहधारी के नाम-रूप में बुद्धि न जाये। बुद्धि में जरा भी विकारी छी-छी सकंल्प न चलें। यह 
है मेहनत। इस सब्जेक्ट में पास होने वाले विश्व का मालिक बन जायेंगे। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) मन्सा-वाचा-कर्मणा पावन बनना है, बुद्धि में विकारी संकल्प भी न आयें, इसके लिए 
आत्मा भाई-भाई हूँ, यह अभ्यास करना है। किसी के नाम-रूप में नहीं फँसना है। 

2) जैसे बाप वफ़ादार है, बच्चों को सुधार कर साथ ले जाते हैं, ऐसे वफ़ादार रहना है। 
कभी भी फारकती या डायओर्स नहीं देना। 

वरदान:- बाप के साथ रहते-रहते उनके समान बनने वाले सर्व आकर्षणों के प्रभाव 
से मुक्त भव 

जहाँ बाप की याद है अर्थात् बाप का साथ है वहाँ बॉडी-कॉनसेस की उत्पत्ति हो नहीं 
सकती। बाप के साथ वा पास रहने वाले दुनिया के विकारी वायब्रेशन अथवा आकर्षण 
के प्रभाव से दूर हो जाते हैं। ऐसे साथ रहने वाले साथ रहते-रहते बाप समान बन जाते 
हैं। जैसे बाप ऊंचे ते ऊंचा है ऐसे बच्चों की स्थिति भी ऊंची बन जाती है। नीचे की कोई 
भी बातें उन पर अपना प्रभाव डाल नहीं सकती। 

स्लोगन:- मन और बुद्धि कन्ट्रोल में हो तो अशरीरी बनना सहज हो जायेगा।