Tuesday, April 9, 2013

Murli [9-04-2013]-Hindi


मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-अपनी दिल से पूछो हम ज्ञान की खुशबू फैलाने वाले खुशबूदार फूल बने हैं, 
सदा अच्छी खुशबू फैलाते रहो'' 

प्रश्न:- किन बच्चों की अवस्था बहुत मस्त रहती है? गैलप करने का आधार क्या है? 
उत्तर:- जो अच्छे-अच्छे फूल हैं, जिनकी बुद्धि में ज्ञान का मंथन चलता रहता है उनकी अवस्था बहुत 
मस्त रहती है। ज्ञान और योग की शिक्षा दे खुशबू फैलाने वाले बच्चे बहुत प्रफुल्लित रहते हैं। गैलप 
करने का आधार है सच्चे परवाने बनना। माया के तूफानों से सदा बचकर रहना। 
श्रीमत पर चलते रहना है। 

गीत:- महफिल में जल उठी शमा.... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) देही-अभिमानी बनने की मेहनत करनी है, हम आत्मा, आत्मा (भाई) से बात करता हूँ, 
आत्मा बोलती है, आत्मा इन आरगन्स से सुनती है... यह अभ्यास करना है। 

2) ऊंच गति के लिए पावन निर्विकारी बनना है। जीते जी मरकर पूरा परवाना बनना है। 

वरदान:- अपने हर कर्म द्वारा दिव्यता की अनुभूति कराने वाले दिव्य जीवनधारी भव 

बापदादा ने हर एक बच्चे को दिव्य जीवन अर्थात् दिव्य संकल्प, दिव्य बोल, दिव्य कर्म करने 
वाली दिव्य मूर्तियां बनाया है। दिव्यता संगमयुगी ब्राह्मणों का श्रेष्ठ श्रृंगार है। दिव्य-जीवनधारी 
आत्मा किसी भी आत्मा को अपने हर कर्म द्वारा साधारणता से परे दिव्यता की अनुभूतियां 
करायेगी। दिव्य जन्मधारी ब्राह्मण तन से साधारण कर्म और मन से साधारण संकल्प कर नहीं 
सकते। वे धन को भी साधारण रीति से कार्य में नहीं लगा सकते। 

स्लोगन:- दिल से सदा यही गाते रहो कि पाना था सो पा लिया...तो चेहरा खुशनुम: रहेगा।