मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-अब स्वीट होम चलना है इसलिए पुरानी दुनिया के कर्मों की
लेन-देन वा हिसाब-किताब चुक्तू करो, योगबल से विकर्माजीत बनो।''
प्रश्न:- तुम बच्चे लाइट हाउस बनकर बाप से योग क्यों लगाते हो?
उत्तर:- क्योंकि तुम्हें सबको इस नर्क रूपी खारी चैनल से पार ले जाना है। तुम मुक्तिधाम
और जीवन मुक्तिधाम में जाने के लिए योग में बैठ हरेक को सर्चलाइट देते हो। तुम
रूहानी पण्डे भी हो, तुम्हें सबको स्वीट होम का रास्ता बताना है। सबको ज्ञान और
योग के पंख देने हैं।
गीत:- प्रीतम आन मिलो....
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1) कुसंग में आकर कभी भी पढ़ाई नहीं छोड़नी है। किसी भी देहधारी से दिल नहीं लगानी है।
2) पापों से मुक्त होने की विधि 'याद' है, इसलिए याद का चार्ट जरूर रखना है।
याद में रहने की अपने आप से प्रतिज्ञा करनी है।
वरदान:- तन को आत्मा का मन्दिर समझ उसे स्वच्छ बनाने वाले नम्बरवन श्रेष्ठ ब्राह्मण आत्मा भव
हम ब्राह्मण आत्मायें सारे कल्प में नम्बरवन श्रेष्ठ आत्मायें हैं, हीरे तुल्य हैं, इस स्मृति से
तन को आत्मा का मन्दिर समझकर स्वच्छ रखना है। जितनी मूर्ति श्रेष्ठ होती है उतना
ही मन्दिर भी श्रेष्ठ होता है। तो इस शरीर रूपी मन्दिर के हम ट्रस्टी हैं, यह ट्रस्टीपन आपेही
स्वच्छता वा पवित्रता लाता है। इस विधि से तन की पवित्रता सदा रूहानी खुशबू का
अनुभव कराती रहेगी।
स्लोगन:- रूहानियत में रहने का व्रत लेना ही ज्ञानी तू आत्मा बनना है।