Tuesday, April 30, 2013

Murli [30-04-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-मम्मा बाबा समान सर्विस करने के लिए बुद्धि को सतोप्रधान बनाओ। 
सतोप्रधान बुद्धि वाले ही धारणा कर दूसरों को करा सकते हैं''। 

प्रश्न:- ऊंचे ते ऊंचा पुरुषार्थ कौन-सा है जो अभी तुम बच्चे कर रहे हो? 
उत्तर:- मात-पिता के तख्त को जीतना, यह है ऊंचे ते ऊंचा पुरुषार्थ। मम्मा बाबा आकर तुम्हारे 
वारिस बनें, ऐसा नम्बरवन बनने का लक्ष्य रखो। इसके लिए ऊंचे से ऊंची सेवा करनी है। बहुतों 
को आपसमान बनाना है। दु:खी मनुष्यों को सुखी बनाना है। अविनाशी ज्ञान रत्नों को बुद्धि रूपी 
बर्तन में धारण कर दूसरों को दान देना है। 

गीत:- भोलेनाथ से निराला... 

धारणा के लिए मुख्य सार :- 

1) पढ़ाई को धारण कर दूसरों को पढ़ाने लायक बनना है। मम्मा-बाबा समान सर्विस करनी है। 

2) अविनाशी ज्ञान रत्नों का दान कर दु:खी मनुष्यों को सुखी बनाना है। पढ़ाई अच्छी तरह पढ़नी है। 

वरदान:- सबको अमर ज्ञान दे अकाले मृत्यु के भय से छुड़ाने वाले शक्तिशाली सेवाधारी भव 

दुनिया में आजकल अकाले मृत्यु का ही डर है। डर से खा भी रहे हैं, चल भी रहे हैं, सो भी रहे हैं। 
ऐसी आत्माओं को खुशी की बात सुनाकर भय से छुड़ाओ। उन्हें खुशखबरी सुनाओ कि हम आपको 
21 जन्मों के लिए अकाले मृत्यु से बचा सकते हैं। हर आत्मा को अमर ज्ञान दे अमर बनाओ जिससे 
वे जन्म-जन्म के लिए अकाले मृत्यु से बच जाएं। ऐसे अपने शान्ति और सुख के वायब्रेशन से लोगों 
को सुख-चैन की अनुभूति कराने वाले शक्तिशाली सेवाधारी बनो। 

स्लोगन:- याद और सेवा का बैलेन्स रखने से ही सर्व की दुआयें मिलती हैं।