Thursday, April 25, 2013

Murli [25-04-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-श्रेष्ठ बनने के लिए सदा श्रीमत पर चलते रहो, लक्ष्मी-नारायण 
भी श्रीमत से इतने श्रेष्ठ बने हैं'' 

प्रश्न:- भक्ति में गऊमुख का यादगार क्यों बनाया है? गऊमुख का गायन क्यों है? 
उत्तर:- क्योंकि संगम पर बाप ने ज्ञान का कलष माताओं के ऊपर रखा है। तुम्हारे 
मुख से ज्ञान अमृत निकलता है जिससे सब पावन बन जाते हैं। तुम भारत माताओं 
को ही शक्ति अवतार कहा जाता है। तुम सबकी मनोकामनायें पूर्ण करती हो इसलिए 
यादगार बना हुआ है। 

गीत:- नयन हीन को राह बताओ... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) पवित्रता के बल से, श्रीमत पर चल भारत को स्वर्ग बनाने की सेवा करनी है। 
सबको एक बाप का आर्डीनेंस सुनाना है कि पवित्र बनो तो पवित्र दुनिया के मालिक बनेंगे। 

2) हर एक को तीन बाप का परिचय दे, दु:खधाम से शान्तिधाम और सुखधाम में चलने 
की राह दिखानी है। भटकने से छुड़ाना है। 

वरदान:- वरदानों की दिव्य पालना द्वारा सहज और श्रेष्ठ जीवन का अनुभव करने वाले 
सदा खुशनसीब भव 

बापदादा संगमयुग पर सभी बच्चों की तीन संबंधों से पालना करते हैं। बाप के संबंध से 
वर्से की स्मृति द्वारा पालना, शिक्षक के संबंध से पढ़ाई की पालना और सतगुरू के संबंध 
से वरदानों के अनुभूति की पालना.. एक ही समय पर सबको मिल रही है, इसी दिव्य 
पालना द्वारा सहज और श्रेष्ठ जीवन का अनुभव करते रहो। मेहनत और मुश्किल शब्द 
भी समाप्त हो जाए तब कहेंगे खुशनसीब। 

स्लोगन:- बाप के साथ-साथ सर्व आत्माओं के स्नेही बनना ही सच्ची सद््भावना है।